
49 वर्षीय रमेश (बदला हुआ नाम) को कुछ दिन पहले एक विदेशी से फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट मिली थी. एक हफ्ते से भी कम समय में, वे नियमित रूप से बातचीत करने लगे. जल्द ही विदेशी ने रमेश से कहा कि वह एक फर्म का मालिक है जो कोरोनो वायरस संकट से निपटने में लोगों की मदद करने के लिए पैसे दान कर रहा है. जैसे ही नए दोस्त ने उन्हें पैसे की पेशकश की, रमेश ने आसानी से स्वीकार कर लिया.
हालांकि, विदेशी ने उसे बताया कि नियमों के अनुसार, उसे पैसे पर कस्टम शुल्क का भुगतान करना होगा. रमेश ने 70 हजार रुपए ट्रांसफर किए, इस उम्मीद से कि बदले में उसे लाखों मिलेंगे. लेकिन पैसे ट्रांसफर करने के कुछ ही मिनटों बाद, विदेशी 'दोस्त' गायब हो गया. रमेश को कुछ ही मिनटों में लूट लिया गया.
सुंदर महिलाओं के रूप में सामने आते हैं स्कैमर्स
यह सबसे प्रचलित फर्जीवाड़ों में से एक तरीका है जो स्कैमर आम आदमी को धोखा देने के लिए महामारी के दौरान उपयोग कर रहे हैं. पिछले तीन महीनों में, कस्टम को 100 से अधिक कॉल प्राप्त हुए हैं जिसमें लोगों ने दान और उपहार प्राप्त करने के नाम पर ऑनलाइन ठगी होने की शिकायत की है.
आजतक को पता चला है कि ठगे जाने वाले ज्यादातर लोग 45 साल से 65 साल की उम्र के हैं. ठगी का तरीका एक ही है और फेसबुक पर एक फ्रेंड रिक्वेस्ट के साथ शुरू होता है. ज्यादातर मामलों में, स्कैमर्स सुंदर महिलाओं के रूप में सामने आते हैं, जो पीड़ित से दोस्ती करने के लिए उत्सुकता दिखाती हैं.
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अधिकारी के सामने कुछ ऐसे मामले भी आए हैं, जहां जालसाजों ने पीड़ितों से कहा है कि वे उनके लिए उपहार भेज रहे हैं, जिनकी कीमत लाखों में है और उन्हें उसे लेने के लिए कस्टम शुल्क का भुगतान करना होगा. इसे वास्तविक दिखाने के लिए, वे नकली प्रमाण पत्र और रसीद भी भेजते हैं. पहले दोस्त बनाओ, उन्हें अच्छी बातचीत के साथ आकर्षित करो और फिर उन्हें यह विश्वास दिलाओ कि वे वास्तव में लाखों के उपहार या दान भेज रहे हैं.
एक अधिकारी के मुताबिक ज्यादातर मामलों में, उन्होंने कस्टम शुल्क के रूप में पीड़ितों को 35 हजार रुपए से 70 हजार रुपए का भुगतान करने के लिए कहा है. कुछ मामलों में, यह 1.5 लाख रुपए तक भी होता है. एक बार जब व्यक्ति दिए गए खाते में धन ट्रांसफर करता है, तो इसे तुरंत दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता है. कुछ मामलों में, जालसाजों ने वित्त मंत्री, दिल्ली कस्टम्स के चीफ कमिश्नर आलोक तिवारी और दिल्ली के मुख्य न्यायाधीश के नाम का भी इस्तेमाल किया है.
धोखाधड़ी के मामले बढ़ने की उम्मीद
स्थानीय पुलिस की मदद से, कस्टम ने इन धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्थानीय पुलिस के साथ शिकायतें दर्ज की हैं. कस्टम ने भी लोगों से जागरूक होने का अनुरोध किया है. लोगों को ऐसे धोखेबाजों के बारे में पता होना चाहिए और भारतीय कस्टम्स के नाम पर की गई किसी भी मांग को पहले चेक करना चाहिए.
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दिल्ली कस्टम विभाग के चीफ आलोक तिवारी ने आजतक से बातचीत करते हुआ कहा कि, 'लोगों को ऐसे धोखेबाजों के बारे में पता होना चाहिए और दिल्ली कस्टम्स की वेबसाइट पर प्रदान किए गए अधिकारियों के विवरण से कस्टम के नाम पर की गई किसी भी मांग को चेक करना चाहिए. इसके अलावा, सीबीआईसी वेबसाइट पर दी गई दस्तावेज पहचान संख्या (डीआईएन) सत्यापन सुविधा का उपयोग वास्तविक और धोखाधड़ी के बीच अंतर करने के लिए किया जाना चाहिए.'
इंडिया टुडे से दिल्ली सीमा शुल्क के मुख्य आयुक्त ने कहा, 'इंटरपोल ने हाल ही में भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सतर्क किया था कि महामारी के दौरान ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले बढ़ने की उम्मीद है.'