
आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने के केन्द्र सरकार के निर्णय को माकपा ने चुनावी लाभ के लिए किया गया फैसला बताते हुए मोदी सरकार पर समाज को धार्मिक आधार पर बांटने के बाद अब जातिगत आधार पर बांटने का आरोप लगाया है.
लोकसभा में माकपा के नेता मोहम्मद सलीम और पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने मंगलवार को कहा कि धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण करने के बाद सरकार अब सवर्णों को आरक्षण देने की आड़ में जाति के आधार पर मतों का ध्रुवीकरण करना चाहती है.
मोहम्मद सलीम का यह बयान सोमवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए उस फैसले पर आया है, जिसमें आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. इस फैसले को लागू करने के लिए जरूरी संविधान संशोधन विधेयक मंगलवार को सरकार ने लोकसभा में पेश कर दिया गया है.
सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए माकपा नेता सलीम ने कहा कि संविधान संशोधन के लिए जरूरी विधायी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि लोकसभा की कार्यसूची में न तो संविधान संशोधन को सूचीबद्ध किया गया और ना ही सदस्यों को विधेयक की प्रति मुहैया कराई गई. उन्होंने कहा कि मंगलवार को लंच से पहले जारी होने वाली संशोधित कार्यसूची में विधेयक को शामिल करने से साफ है कि सरकार बिना सर्वानुमति कायम किए, इसे सदन से पारित कराना चाहती है.
प्राइवेट सेक्टर में मिले आरक्षण
वहीं, सीताराम येचुरी ने आरक्षण को महज चुनावी स्टंट बताते हुए कहा कि आरक्षण के दायरे में जब तक निजी क्षेत्र को नहीं लाया जायेगा, तब तक इसका कोई लाभ नहीं होगा. उन्होंने कहा कि माकपा मंडल आयोग के समय से ही आर्थिक आधार पर आरक्षण का समर्थन करती रही है. इसलिए पार्टी सरकार के इस फैसले का समर्थन करेगी लेकिन आरक्षण के लिए आय की सीमा आठ लाख रूपये तय किये जाने का मानक अव्यवहारिक है.