
जेलों में गैंगवार और अन्य तरह की आपराधिक गतिविधियां बढ़ने से पैदा हुए असुरक्षित माहौल ने गृह मंत्रालय को चिंतित कर दिया है. गृह मंत्रालय के निर्देशन में पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो की ओर से 'जेलों में आपराधिक गतिविधियां और कट्टरता' के विषय पर गुरुवार से दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित हुआ है. जेलों में अपराध की बात करें तो पिछले साल यूपी की बागपत जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या हो चुकी है. कई अन्य जेलों से भी तमाम हिंसक घटनाएं सामने आ चुकी हैं.
ऐसे में जेलों का माहौल सुधारने के लिहाज से गृह मंत्रालय की यह पहल काफी अहम है. इसमें अनुभवी पुलिस अफसरों की मौजूदगी में जेलों की व्यवस्था सुधारने पर मंथन होगा. शुक्रवार तक चलने वाले इस सेमिनार में बोलते हुए गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि जेल की व्यवस्था ऐसी हो जिससे कि कारावास प्रक्रिया के दौरान ज्यादा कष्ट न हो. पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो की ओर से आयोजित इस सेमिनार में गृह मंत्रालय, सीएपीएफ और राज्य पुलिस के सेवारत और रिटायर्ड अफसरों, शिक्षाविदों, सिविल सोसायटी संगठनों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं.
जेलों को सुधार केंद्र में बदलने की जरूरत
गृह राज्य मंत्री रेड्डी ने जेल के सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए एक सचेत नीति बनाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से ही देश में जेल प्रशासन विभिन्न मंचों पर गहन विचार-विमर्श का विषय रहा है. यहां तक कि देश के उच्चतम न्यायालय ने भी जेलों की स्थितियों पर अपनी चिंता जताई. लिहाजा जेलों में सुरक्षा सुनिश्चित करने, कैदियों के रहन-सहन का स्तर बेहतर करने और जेलों को एक सुधार केन्द्र में तब्दील करने की जरूरत है.
मंत्री ने कहा कि जेल की व्यवस्था ऐसी हो जिससे कि कारावास प्रक्रिया के दौरान ज्यादा कष्ट न हो. उन्होंने कैदियों के व्यवहार में सुधार लाने और फिर इसके बाद उनका पुनर्वास करने की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने जेल सुधारों से जुड़ी विभिन्न चुनौतियों जैसे कि जेलों में जरूरत से ज्यादा कैदियों को रखे जाने, विचाराधीन कैदियों की अधिक संख्या, जेलों में अपर्याप्त बुनियादी सुविधाएं, जेलों में आपराधिक गतिविधियां एवं कट्टरता, महिला कैदियों एवं उनके बच्चों की सुरक्षा, समुचित जेल प्रशासन के लिए धन एवं स्टाफ की कमी आदि का भी जिक्र किया.
केंद्र ने उठाए कई कदम
जी किशन रेड्डी ने जेलों में स्थितियां बेहतर करने के लिए पिछले 10 वर्षों में केन्द्र सरकार की ओर से उठाए गए विभिन्न कदमों का उल्लेख किया. इनमें फास्ट-ट्रैक कोर्ट और लोक अदालतों की स्थापना भी शामिल है. इससे विचाराधीन कैदियों से जुड़े लंबित मामलों में कमी आएगी और इसके चलते जेल सिस्टम पर कम बोझ पड़ेगा.
जी किशन रेड्डी ने केन्द्र सरकार की 'जेल आधुनिकीकरण योजना' का उल्लेख किया, जिस पर 1800 करोड़ रुपये की लागत आएगी और जिसका उद्देश्य 199 नई जेलें, 1572 अतिरिक्त बैरक एवं जेल कर्मियों के लिए 8568 आवासीय परिसर (क्वार्टर) बनाना है. इस अवसर पर पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो के महानिदेशक वीएसके कौमुदी और अन्य अफसर मौजूद रहे.