
टाटा ग्रुप के चेयरमैन के पद से हटाए जाने के बाद साइरस मिस्त्री ने टाटा बोर्ड को ई-मेल भेजा है. इस मेल में उन्होंने रतन टाटा पर कई आरोप लगाए हैं. मिस्त्री ने कहा है कि ग्रुप में उन्हें सिर्फ नाम का चेयरमैन बनाया गया था. उनके पास काम करने की आजादी तक नहीं थी. वहीं ये भी कहा जा रहा है कि मिस्त्री को हटाए जाने की वजह से ग्रुप को 1.18 लाख करोड़ का घाटा हो सकता है.
साइरस मिस्त्री ने अपने मेल में साफ किया है कि वो ग्रुप में शामिल तो थे लेकिन फैसले लेने में उनका कोई किरदार नहीं रहा. मिस्त्री के मुताबिक, उनका महत्व कम करने के लिए समूह में फैसले लेने वाले अलग लोग लाए गए थे. जो ऑल्टरनेटिव पॉवर सेंटर की तरह काम करते थे.
सूत्रों के मुताबिक, मिस्त्री ने अपने मेल में ये भी लिखा है कि वह बोर्ड के इस फैसले से शॉक्ड हैं. उन्हें अपनी बात रखने का मौका तक नहीं दिया गया. बोर्ड ने अपनी साख के मुताबिक काम नहीं किया. उन्होंने कहा कि टाटा संस और ग्रुप कंपनियों के स्टेकहोल्डर्स के प्रति जिम्मेदारी निभाने में डायरेक्टर्स विफल रहे और कॉरपोरेट गवर्नेंस का कोई ख्याल नहीं रखा गया.'
मिस्त्री ने टाटा समूह को चेतावनी दी है कि पांच घाटे वाले बिजनेस चलाने की वजह से ग्रुप को 1.18 लाख करोड़ का घाटा हो सकता है.
गौरतलब हो कि साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटाए जाने की खबर सोमवार को आई तो उद्योग जगत हैरान रह गया. हर किसी की जुबान पर यह सवाल तैरने लगा कि आखिर चार साल के भीतर ही मिस्त्री को क्यों हटा दिया गया जबकि कंपनी ने तो उन्हें 30 साल के लिए चेयरमैन बनाया था. टाटा ग्रुप ने अपने अब तक से सबसे युवा चेयरमैन साइरस मिस्त्री को हटाए जाने की कोई आधिकारिक वजह नहीं बताई. यहां हम चार संभावित कारणों का जिक्र कर रहे हैं जिनसे टाटा ग्रुप मिस्त्री के काम से खुश नहीं था.