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राफेल सौदा: SC के फैसले से दसॉल्ट खुश, कहा- मेक इन इंडिया के लिए समर्पित

राफेल जेट विमान बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने राफेल सौदे पर भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने भारत और फ्रांस के बीच 23 सितंबर 2016 को हुए राफेल विमान सौदे के खिलाफ दायर जांच संबंधी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट (तस्वीर- PTI) सुप्रीम कोर्ट (तस्वीर- PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 12:16 AM IST

राफेल जेट विमान बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने राफेल सौदे पर भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने भारत और फ्रांस के बीच 23 सितंबर 2016 को हुए राफेल विमान सौदे के खिलाफ दायर जांच संबंधी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया.

दसॉल्ट एविएशन ने कहा कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रमोट किए गए मेक इन इंडिया को भारत में स्थापित करने के लिए समर्पित है. रिलायंस जॉइंट वेंचर और एक पूर्ण आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क के माध्यम से दसॉल्ट एविएशन भारत में सफल उत्पादन सुनिश्चित करेगा.

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बता दें कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे पर आरोपों से घिरी रही मोदी सरकार को क्लीन चिट दे दी. सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों ने एकमत से अपने फैसले में राफेल सौदे को लेकर सभी याचिकाएं खारिज कर दी. साथ ही मोदी सरकार को पूरी तरह से क्लीन चिट दे दी है.

बता दें कि राफेल पर मोदी सरकार काफी समय से घिरी थी और विपक्ष ने इसे चुनावी हथियार बनाया था. मगर अब सु्प्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिलने के बाद मोदी सरकार अब विपक्ष पर पलटवार कर सकती है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राफेल विमान सौदे में कोई संदेह नहीं है. इसकी गुणवत्ता पर कोई सवाल नहीं है. इसलिए इससे जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज किया जाता है.

चीफ जस्टिस ने कहा कि राफेल विमान हमारे देश की जरूरत है. चीफ जस्टिस ने कहा कि ऑफसेट पार्टनर की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है. किसी व्यक्ति के लिए निजी धारणा के आधार पर डिफेंस डील को निशाने पर नहीं लिया जा सकता है.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राफेल सौदे के दाम, प्रक्रिया और ऑफसेट पार्टनर किसी भी मुद्दे पर हमें कोई दिक्कत नहीं है. इस फैसले को लिखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा और सौदे के नियम को ध्यान में रखा. मूल्य और जरूरतें भी हमारे ध्यान में रही थीं. शीर्ष अदालत ने कहा कि कीमतों के तुलनात्मक विवरण पर फैसला लेना अदालत का काम नहीं है.

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