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GPS चिप से खुलासा, पाकिस्तान से ही आए थे उरी में अटैक करने वाले आतंकी

फोरेसिंच एक्सपर्ट्स की उच्च स्तरीय जांच में हुआ खुलासा, उरी आतंकी हमले के पीछे है पाकिस्तान का सीधा कनेक्शन.

जीपीएस डाटा से हुआ बड़ा खुलासा जीपीएस डाटा से हुआ बड़ा खुलासा
विष्णु नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 01 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 12:45 PM IST

फोरेंसिक एक्सपर्ट ने उच्चस्तरीय जांच में कहा है कि उरी के 12 इन्फैंट्री ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर हुए हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ था. उच्च स्तरीय सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार से कहा कि आतंकियों ने अपने यात्रा की शुरुआत पाकिस्तान के एक बेस से की थी.

सूत्रों का कहना है कि यह सारा डाटा बुरी तरह क्षतिग्रस्त ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (GPS) से हासिल किया गया है. यह डेटा आतंकियों की मौत के बाद सितंबर 18 को हासिल किया गया.

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जीपीएस डाटा से हुआ खुलासा...
आतंकियों द्वारा बरामद किया गया गार्मिन ईट्रेक्स जीपीएस यूनिट का डाटा बताता है कि आतंकी सितंबर 17 की तारीख को मुजफ्फराबाद-श्रीनगर की सड़क से होते हुए लाइन ऑफ कंट्रोल तक पहुंचे. इसके बाद वे ऑफिशियल बॉर्डर प्वाइंट तक पहुंचे. चकोठी के दक्षिण से लाइन ऑफ कंट्रोल में दाखिल होने के बाद वे पूरब की ओर चलते रहे. दारा गूलन गांव की ओर चढ़ने के क्रम में उन्होंने तीन रिजलाइनें पार कीं. उरी हमले से पहले वे नीचे रुके.


आतंकियों के टाइमलाइन मूवमेंट से यह बात स्पष्ट होती है कि उन्होंने लाइन ऑफ कंट्रोल की त्रिस्तरीय सुरक्षा को बड़ी आसानी से भेदा और वे सेना की पेट्रोलिंग को भी भेदने में सफल रहे. इस केस के नजदीकी सूत्र ने कहा कि यही सबसे बड़ी चिंता की वजह है.

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इस सेट से हासिल डाटा के आधार पर निरीक्षकों का कहना है कि यह उरी हमले से एक रात पहले की बात है. इस हमले का संचलन लीपा घाटी में लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किया गया था. बाद में सेना ने मुख्यतौर पर इसी स्थान पर सर्जिकल स्ट्राइक किए थे.

घुसपैठ करके देश की सेना पर अब तक के सबसे बड़े हमले की अब तक कोई आधिकारिक जांच नहीं हुई है. आखिर वे लाइन ऑफ कंट्रोल को कैसे भेद सके. हालांकि मिलिट्री सूत्रों का कहना है कि कटीले तारों को पार करने के लिए उन्होंने सीढ़ियों का इस्तेमाल किया होगा.

गौरतलब है कि किन्हीं अनजान जगहों पर चलने के लिए जीपीएस सेट सैटेलाइट नेटवर्क सिग्नल का इस्तेमाल करते हैं. उरी हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों के बाद ऐसे दो सेट थे लेकिन बाद की मुठभेड़ में एक सेट बुरी तरह ध्वस्त हो गया.

लश्कर-ए-तैयबा ने ली थी जिम्मेदारी
पिछले माह लश्कर-ए-तैयबा ने उरी हमले की जिम्मेदारी ली थी. उन्होंने इस हमले में शामिल एक आतंकी का नाम मुहम्मद अनस बताया था. वह अबु सिरका उपनाम से काम करता था. इस संगठन ने उरी हमले के बाद अबु सिरका के होम टाउन गुजरानवाला में पोस्टर्स लगाए थे. उन्होंने अबु सिरका की शहादत के लिए पूरे शहरवासियों को बुलाया था. उनका मानना है कि 177 हिंदू सैनिकों को मार कर अबु सिरका ने शहादत हासिल कर ली है.



राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी को मिले पुख्ता सबूत

राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के खोजकर्कताओं ने सिरींज, पेनकिलर, दूसरी दवाईयां और झटपट खाने को तैयार सामान बरामद किए. इन सारी चीजों पर पाकिस्तान के भीतर निर्मित होने के ठप्पे लगे थे. पाकिस्तान ने इस मामले में अब तक कोई जांच नहीं की है. न ही उन्होंने इस संगठन से जुड़े किसी भी शख्स को ऐसे किसी भी ऑपरेशन का जिम्मेदार माना है.

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इस मामले में सितंबर माह में पूछे गए एक सवाल पर पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री चौधरी निसार अली खान कहते हैं 'जब भारत के पास ही कोई सबूत नहीं है तो पाकिस्तान कैसे कोई एक्शन ले सकता है? उन्होंने सिर्फ आरोप लगाए हैं, और वह भी सिर्फ पाकिस्तान को बदनाम करने के लिए है.

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