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गंदे नालों में मौत के खिलाफ हल्ला बोल, 25 सितंबर को आंदोलन

विल्सन ने तमाम लोगों से अपील की है कि वह 25 सितंबर को जंतर-मंतर पर सफाई के दौरान होने वाली लोगों की मौत के विरोध में इस मुहिम का हिस्सा बनें.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
मोनिका गुप्ता/आशुतोष मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 18 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 6:14 PM IST

दिल्ली में गंदे नाले की सफाई के दौरान जहरीली गैसों से हुई मौत के बाद अब मैनुअल तरीके से नालों और सेप्टिक टैंक की सफाई के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा होने जा रहा है. 25 सितंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर सामाजिक कार्यकर्ता और मैग्सेसे पुरस्कार विजेता बिजवाडा विल्सन एक बड़ा आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं.

इस आंदोलन से पहले विल्सन दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में जागरूकता कैंप शुरू कर रहे हैं. बता दें कि दिल्ली और छत्तीसगढ़ को मिलाकर पिछले 7 दिनों में 11 लोगों की मौत गंदे नालों या सेप्टिक टैंक की सफाई करने के दौरान जहरीली गैसों से दम घुटने से हुई है. ऐसे नालों और सेप्टिक टैंक की मैनुअल सफाई के खिलाफ लगातार मांग उठ रही है. इस मामले पर अदालतों ने भी सरकार को फटकारा है.

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वहीं सफाई कर्मचारी प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता बिजवाडा विल्सन सीवर सेप्टिक टैंक की मैनुअल सफाई के विरोध में एक मुहिम शुरू करने जा रहे हैं. इसकी शुरुआत भी 25 सितंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर से होगी. 'आजतक' से बातचीत करते हुए बिजवाड़ा विल्सन ने कहा कि देश के अलग-अलग राज्यों में सेप्टिक टैंक और सीवर की सफाई करने के दौरान कई लोगों की मौत हो जाती है. लेकिन सरकार और एजेंसियां ऐसी मौतों से और अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेती हैं. विल्सन ने सवाल उठाया कि आखिर जिम्मेदार कौन है?

विल्सन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में फैसला भी सुनाया है. बावजूद इसके मैनुअल तरीके से सेप्टिक टैंक और सीवर की सफाई पर रोक नहीं लगाई गई है. विल्सन ने कहा कि किसी भी राज्य में सिविक एजेंसियां मैनुअल तरीके से सेप्टिक टैंक और सीवर की सफाई के लिए करोड़ों रुपया लगाने में असमर्थता जताती हैं. वहीं राज्य सरकार भी सैकड़ों करोड़ रुपये इस पर खर्च नहीं करती. ऐसे में केंद्र सरकार को इसके लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे. विल्सन ऐसी मौतों को हत्या करार देते हैं. उसी के लिए लगातार लड़ाई लड़ते रहे हैं.

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