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दिल्ली: ईस्ट एमसीडी को मिला ये खास सम्मान

बता दें कि अत्याधुनिक तकनीक से शास्त्री पार्क में बने सी.एंड.डी प्लांट में रोजाना करीब 500 टन मलबे के इस्तेमाल से ईंट, पत्थर, रेत, फुटपाथ पर लगने वाली टाइल्स और नालों के ढ़क्कन बनाए जा रहे हैं.

अवॉर्ड लेते अधिकारी अवॉर्ड लेते अधिकारी
रवीश पाल सिंह/देवांग दुबे गौतम
  • नई दिल्ली,
  • 23 जून 2018,
  • अपडेटेड 8:40 PM IST

ईस्ट एमसीडी को बिल्डिंग मटेरियल और मलबा निस्तारण के क्षेत्र में बेहतर प्रबंधन के लिए ‘स्कोच: ऑर्डर ऑफ मेरिट’ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशनल क्लब में आयोजित 52वें स्कोच सम्मेलन के समारोह में ईस्ट एमसीडी को ये अवॉर्ड शास्त्री पार्क में बने बिल्डिंग मटेरियल और मलबा निस्तारण संयंत्र (सी.एंड.डी) के ज़रिए पूर्वी दिल्ली के सैकड़ों टन मलबे से उपयोगी उत्पाद बनाने के लिए दिया गया.

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आपको बता दें कि अत्याधुनिक तकनीक से शास्त्री पार्क में बने सी.एंड.डी प्लांट में रोजाना करीब 500 टन मलबे के इस्तेमाल से ईंट, पत्थर, रेत, फुटपाथ पर लगने वाली टाइल्स और नालों के ढ़क्कन बनाए जा रहे हैं. एमसीडी के मुताबिक शास्त्री पार्क में बने प्लांट में रिसाइकिल्ड प्रोडक्ट की वक्त-वक्त पर लैब से जांच भी करवाई जाती है.

पूर्वी दिल्ली के मेयर विपिन बिहारी सिंह ने ईस्ट एमसीडी को मिले अवॉर्ड पर खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि निगम को मिला ये अवॉर्ड पर्यावरण की दिशा में किए गए कार्यों का ही परिणाम है, लेकिन ईस्ट एमसीडी इससे और अच्छा काम करने की कोशिश करेगी. इसके साथ ही मलबा निस्तारण के साथ-साथ अब सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट में भी निगम को बेहतर प्रयास करने होंगे.  

मेयर बिपिन बिहारी के मुताबिक शास्त्री पार्क के सी.एंड.डी प्लांट में बने हुए सभी उत्पाद दिल्ली-एनसीआर के बाजार में बेचे जा रहे हैं.  मेयर ने बताया कि अनोख ढंग से मलबे का सुचारू प्रबंधन और निस्तारण कर पर्यावरण को बचाने में अहम भूमिका निभाने के लिए पुरस्कार के लिए वोटों के आधार पर ईस्ट एमसीडी का चयन किया गया. 

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आपको बता दें कि पूर्वी दिल्ली के शास्त्री पार्क में करीब 2.5 एकड़ जमीन पर बने सी.एंड.डी प्लांट को आई.एल.एंड.एफएस कंपनी के साथ निजी साझेदारी के तहत दिसंबर 2015 में शुरु किया गया था. जिसमें सीमेंट के टुकड़ों, ईंट, प्लास्टर, स्टील, लकड़ी आदि को रिसायकिल किया जाता है और फिर उनसे अलग-अलग उत्पाद बनाए जाते हैं.

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