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दिल्ली हाई कोर्ट ने देशभर में दवाइयों की ऑनलाइन बिक्री पर लगाई रोक

ऑनलाइन बिक्री पर बड़ा फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ नहीं किया जाना चाहिए और ऑनलाइन दवाओं की बिक्री पर तुरंत रोक लगाई जाए.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 13 दिसंबर 2018,
  • अपडेटेड 11:50 AM IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने ऑनलाइन बिक रही दवाइयों की बिक्री पर रोक लगा दी है. दिल्ली हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि दिल्ली सरकार बोर्ड द्वारा लगाए जा रहे बैन को सख्ती से लागू करें.

डर्मेटोलॉजिस्ट जहीर अहमद की तरफ से लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता और इस पर तुरंत लगाम लगाने की जरूरत है.

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दरअसल, याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया कि हर रोज लाखों की तादाद में ऑनलाइन दवाइयों को बेचा जा रहा है और नियमों को ताक पर रखकर ऐसा किया जा रहा है. ऑनलाइन दवाइयों को बिना डॉक्टर की प्रिसक्रिप्शन के बेचा जा रहा है. यहां तक की लोगों के ई-मेल पर भी दवाइयों को घर पर भेजा जा रहा है.

दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा किया गया यह आदेश पूरे देश में ऑनलाइन बिक रही दवाइयों पर लागू किया जाएगा. याचिकाकर्ता की तरफ से ऐसी दर्जनभर बड़ी वेबसाइट्स की जानकारी कोर्ट को दी गई जिन पर नियमों का उल्लंघन करके ऑनलाइन दवाई बेचने का आरोप है.

याचिकाकर्ता का कहना था कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 और फार्मेसी एक्ट 1948 के तहत भी दवाइयों की बिक्री ऑनलाइन नहीं की जा सकती. याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कुछ वेबसाइट्स प्रतिबंधित दवाओं की भी सप्लाई लोगों तक भेजती हैं.

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ऑनलाइन दवाइयों की बिक्री को रोकने के लिए इससे पहले भी साउथ दिल्ली केमिस्ट एसोसिएशन हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुका है. उस याचिका में भी ऑनलाइन बिक रही दवाइयों और बिना डॉक्टर की सलाह के लोगों द्वारा खरीदी जा रही दवाइयों को तुरंत रोकने की कोर्ट से गुहार लगाई गई थी.

मेट्रो शहरों में दवाइयों की ऑनलाइन बिक्री का एक बहुत बड़ा कारोबार है. सच यह भी है कि ऑनलाइन बिक रही इन दवाइयों पर सरकार का अंकुश ना के बराबर है. यही वजह है कि अक्सर ऑनलाइन बिक रही दवाइयों में नियमों को ताक पर रखना आम होता जा रहा है. ऐसे में अब हाईकोर्ट ने ऑनलाइन दवाइयों की बिक्री पर रोक तो लगा दी है, लेकिन इस पर पूरी तरह से रोक तभी लग पाएगी जब दिल्ली सरकार इसको सख्ती से लागू कर पाए.

महिला को नौकरी नहीं देने पर दिल्ली सरकार को फटकार

दूसरी ओर, एक अन्य फैसले में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को एक महिला को मां बनने के बाद नौकरी देने में आनाकानी करने पर कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने इसलिए फटकार लगाई क्योंकि दिल्ली सरकार ने एक महिला को उसकी नौकरी पर बाद में विचार करने के लिए कहा क्योंकि उस महिला ने कुछ ही दिनों पहले एक नवजात शिशु को जन्म दिया था और फिलहाल काम करने में असमर्थ थी.

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दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए अपने आदेश में कहा कि कार्यस्थल पर महिलाओं के आत्मसम्मान और गरिमा का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए और काम करने वाली गर्भवती महिलाओं के प्रति सरकार की सहानुभूति होनी चाहिए. इतना ही नही हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश देते हुए कहा है कि जल्द ही इस महिला की नियुक्ति पर विचार कर कोर्ट में अपनी रिपोर्ट भी दायर करे.

दरअसल, कुछ वक्त पहले दिल्ली सरकार के गेस्ट टीचर में उक्त महिला का सलेक्शन हुआ था. सलेक्शन के बाद जब वो ज्वाइन करने गई तो उस वक्त  उसने नवजात शिशु को कुछ दिन पहले ही जन्म दिया था, लेकिन उसकी स्थिति देखकर दिल्ली सरकार के अधिकारियों ने कहा कि उसके बारे में बाद में विचार किया जाएगा.

महिला ने अपनी याचिका में कहा कि अधिकारियों का रवैया उसको प्रताड़ित करने वाला था. पिछले साल उसका गेस्ट टीचर के लिए सलेक्शन हुआ था और इसी साल जनवरी में सर्जरी के जरिये उसकी डिलीवरी हुई. 1 फरवरी को उसे ज्वाइन करने के लिए कहा गया, लेकिन जब वो ज्वाइन करने के लिए अपने सभी दस्तावेज लेकर पहुंची तो उसको एब्सेंट दिखाकर बाद में आने के लिए कहकर टरका दिया गया.

हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब दो हफ्तों में दिल्ली सरकार को अपनी स्टेटस रिपोर्ट देनी है और कोर्ट के निर्देश के अनुसार महिला की फिटनेस के हिसाब से स्कूल में उसे काम दिया जाना है.

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