
इराक के मोसुल में मारे गए 39 भारतीयों का मामला एक बार फिर से दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है. उच्च अदालत में एक याचिका दाखिल कर मांग की गई कि मामले में किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए और मारे गए भारतीयों के पोस्टमार्टम करवाए जाएं. कोर्ट में दाखिल याचिका में केंद्र सरकार, गृह मंत्रालय और इंटेलिजेन्स ब्यूरो को पक्षकार बनाया गया है.
अब सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट इस याचिका पर सुनवाई कर सकता है. यह याचिका वकील महमूद प्राचा ने दायर की है. इसमें कहा गया कि केंद्र सरकार और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की लापरवाही के चलते आतंकी संगठन आईएसआईएस ने 39 भारतीयों को इराक के मोसुल में मौत के घाट उतार दिया. ऐसे में जिन लोगों की जानें गई हैं, उनको लेकर कोर्ट पूरे मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे.
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि सरकार और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने इस मसले पर देश को गलत जानकारी देकर गुमराह भी किया. पहले उन्होंने मौत न होने की बात कही और अब मार्च में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में खुद इस बात का खुलासा किया कि इन भारतीयों की जून 2014 में मौत हो चुकी है. अब सरकार इनके ताबूत तक खोलने नहीं दिए.
याचिका में मामले की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाने, टीम को मामले से संबंधित पूरे दस्तावेज देने और शवों के पोस्टमार्टम कराने की मांग की गई है, ताकि इन भारतीयों की मौत की हकीकत सामने आ सके.
इससे पहले चार अप्रैल को जस्टिस राजीव शकधर की बेंच ने इस याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता को मोसुल जाने से रोकने का लोगों के मरने से कोई लेना-देना नहीं है. कोर्ट ने उस वक्त इस याचिका को खारिज कर दिया था और याचिकाकर्ता को फिर से नई याचिका लगाने को कहा था.