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राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड में नहीं दिखेंगे ITBP के 'हिमवीर' और BSF के 'प्रहरी'

देश की सीमाओं की हिफाजत करने वाले प्रमुख अर्धसैनिक बलों The Indo-Tibetan Border Police (ITBP) और सीमा सुरक्षा बल (BSF) के साथ-साथ सशस्त्र सीमा बल और अपनी स्वर्णिम जयंती वर्ष मना रहे सीआईएसएफ को भी इस साल राजपथ पर आयोजित होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का न्यौता नहीं भेजा गया है.

सांकेतिक तस्वीर (ट्विटर) सांकेतिक तस्वीर (ट्विटर)
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 11 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 9:47 PM IST

देश की सीमाओं की हिफाजत करने वाले प्रमुख अर्धसैनिक बलों (Indo-Tibetan Border Police) भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल (ITBP) और सीमा सुरक्षा बल (BSF) के साथ-साथ सशस्त्र सीमा बल और अपनी स्वर्णिम जयंती वर्ष मना रहे सीआईएसएफ को भी इस साल राजपथ पर आयोजित होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने का न्यौता नहीं भेजा गया है.

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गृह मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय द्वारा वांछित मात्र 5 केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कंटिजेंट के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स  (RPF), असम रायफल्स (AR), दिल्ली पुलिस और बीएसएफ के कैमल कंटिजेंट का नाम इस बार की परेड के लिए भेजा है. ज्ञात हो कि वर्ष 2016 से ही राजपथ पर गृह मंत्रालय के नियंत्रण में आने वाले अर्धसैनिक बलों के कंटिजेंट को रोटेशन के आधार पर परेड में शामिल किया जाता रहा है और यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष कुछ महत्वपूर्ण सशस्त्र पुलिस बलों को इस परेड में नहीं शामिल किया जा रहा है जिससे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के रिटायर्ड कर्मचारी बहुत नाराज हैं.

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पूर्व अर्धसैनिक संगठन के महासचिव रणवीर सिंह ने इस बाबत विरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने गुजारिश की है कि गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर सभी केंद्रीय सशस्त्र बलों को शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने रक्षा मंत्रालय को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि यदि यह निर्णय नहीं लिया जाता तो मार्च में रिटायर्ड पैरामिलिट्री कर्मी नई दिल्ली में आयोजित होने वाले विरोध प्रदर्शन में काली पट्टी बांधकर इसका पुरजोर विरोध करेंगे.

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की लगभग 1,000 बटालियंस में लगभग 10,00,000 जवान देश की सीमाओं की सुरक्षा के अतिरिक्त आंतरिक सुरक्षा और अन्य कई महत्वपूर्ण सुरक्षा दायित्वों का निर्वाह करते रहे हैं, जिससे इन बलों को पिछले लगभग कुछ दशकों में बहुत पहचान मिली है और इन्हें सेना के समकक्ष सुविधाएं देने की मांग भी होती रही है.

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इस पर रक्षा मंत्रालय की दलील है कि राजपथ पर समय ज्यादा लगने के कारण कंटिजेंट्स की संख्या को सीमित रखा जा रहा है जबकि पूर्व पैरामिलिट्री एसोसिएसंस का कहना है कि यदि यहां चार-पांच अतिरिक्त कंटिजेंट मार्च भी करें तो बमुश्किल से 2 से 3 मिनट का अतिरिक्त समय ही लगेगा जिसे अमल में लाने में कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन जानबूझकर अर्धसैनिक बलों को इस परेड से वंचित रखा जा रहा है जो केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के साथ सौतेले व्यवहार का परिचायक है. उनके अनुसार अब समय आ गया है कि इन सुरक्षाबलों को केंद्र सशस्त्र बलों की तर्ज पर पहचान दे और इनके कर्मियों को भी वही सम्मान दे जो इनके सेना के भाइयों को मिलता रहा है.

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