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स्वतंत्रता संग्राम में थी कांग्रेस की अहम भूमिका, आजादी के बाद भी: भागवत

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की तीन दिवसीय व्याख्यानमाला सोमवार से शुरू हो गई है, जिसका शीर्षक भविष्य का भारत: आरएसएस का दृष्टिकोण रखा गया है. इसमें कई गणमान्य लोग भाग ले रहे हैं, जिनमें धार्मिक नेता, फिल्म कलाकार, खेल हस्तियां, उद्योगपति और विभिन्न देशों के राजनयिक शामिल हैं.

RSS प्रमुख मोहन भागवत RSS प्रमुख मोहन भागवत
पॉलोमी साहा/मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 17 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 11:27 AM IST

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) का तीन दिवसीय मंथन शिविर सोमवार से दिल्ली में शुरू हो गया. इस कार्यक्रम में देशभर से जाने-माने लोग पहुंच रहे हैं. यहां राष्ट्रीय महत्व के कई मुद्दों पर संघ प्रमुख मोहन भागवत अपने विचार रखेंगे. सोमवार को उन्होंने देश, सियासत, ध्वज समेत कई मुद्दों पर अपनी बात रखी.

कार्यक्रम में नेताओं-अभिनेताओं के पहुंचने का सिलसिला जारी है. पीपी चौधरी, राम माधव, नरेंद्र जाधव, अमर सिंह और ए सूर्यप्रकाश सोमवार को पहुंचे. इनके अलावा बॉलीवुड हस्तियों में एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी, फिल्मकार मधुर भंडारकर, अनु मलिक, अन्नू कपूर और मनीषा कोइराला भी कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे.

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कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, संघ के कार्यकर्ता बिना किसी प्रचार के अपना काम करते हैं. हालांकि उन्हें अलग-अलग माध्यमों से पब्लिसिटी मिलती है, जिसकी कभी आलोचना भी होती है. भागवत ने कहा, मुझे जैसी जानकारी है, उसी आधार पर अपना नजरिया पेश करने आया हूं. अब आप पर निर्भर करता है कि कैसे इसे देखते हैं. संघ जो कुछ भी करता है, वह खास होता है और तुलना से परे भी क्योंकि संघ की अपनी एक विशिष्ट पहचान है और यह लोगों के बीच ही प्रसिद्ध हुआ है.

कांग्रेस की भूमिका को सराहा

भागवत ने कहा, संपूर्ण हिंदू समाज को संगठित करने के लिए संघ की स्थापना हुई. सबसे बड़ी समस्या यहां का हिंदू है, अपने देश के पतन का आरंभ हमारे पतन से हुआ है. हिंदुस्तान हिंदू राष्ट्र है इसकी घोषणा हेडगेवार ने की. भागवत ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में बड़ा रोल निभाया और भारत को कई महान हस्तियां दीं.

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कांग्रेस के संदर्भ में उन्होंने कहा कि एक धारा का यह मानना था कि अपने देश में लोगों में राजनीतिक समझदारी कम है. सत्ता किसकी है, इसका महत्व क्या है, लोग कम जानते हैं और इसलिए लोगों को राजनीतिक रूप से जागृत करना चाहिए. भागवत ने कहा, 'इसलिए कांग्रेस के रूप में बड़ा आंदोलन सारे देश में खड़ा हुआ. अनेक सर्वस्वत्यागी महापुरूष इस धारा में पैदा हुए जिनकी प्रेरणा आज भी हमारे जीवन को प्रेरणा देने का काम करती है.'

उन्होंने कहा कि इस धारा का स्वतंत्रता प्राप्ति में एक बड़ा योगदान रहा है. सरसंघचालक ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश में योजनाएं कम नहीं बनीं, राजनीति के क्षेत्र में आरोप लगते रहते हैं, उसकी चर्चा नहीं करूंगा, लेकिन कुछ तो ईमानदारी से हुआ ही है. सरसंघचालक ने कहा कि देश का जीवन जैसे जैसे आगे बढ़ता है, तो राजनीति तो होगी ही और आज भी चल रही है. सारे देश की एक राजनीतिक धारा नहीं है. अनेक दल है, पार्टियां हैं.

'विविधताओं से डरने की बात नहीं'

भागवत ने कहा, 'अब उसकी स्थिति क्या है, मैं कुछ नहीं कहूंगा. आप देख ही रहे हैं.' भागवत ने कहा, 'हमारे देश में इतने सारे विचार हैं, लेकिन इन सारे विचारों का मूल भी एक है और प्रस्थान बिंदु भी एक है. विविधताओं से डरने की बात नहीं है, विविधताओं को स्वीकार करने और उसका उत्सव मनाने की जरूरत है.' उन्होंने कहा कि विविधता में एकता का विचार ही मूल बिंदु है और इसलिये अपनी अपनी विविधता को बनाए रखें और दूसरे की विविधता को स्वीकार करें.

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देश में संघ के दबदबे की मंशा नहीं

भागवत ने कहा, संघ हमेशा तिरंगे का सम्मान करता है. स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी हर निशानी से प्रत्येक स्वयंसेवक दिल से जुड़ा है लेकिन भगवा ध्वज को हम अपना गुरु मानते हैं. हर साल इसी ध्वज के सामने हमलोग गुरु दक्षिणा कार्यक्रम आयोजित करते हैं. हम इस देश में संघ के दबदबे की मंशा नहीं रखते.   

भागवत ने यह भी कहा कि वे लोगों को जोड़ना चाहते हैं, उनपर कुछ थोपना नहीं...संघ के विचारों को वे सबके साथ बांटना चाहते हैं. 

तीन दिवसीय इस कार्यक्रम के केंद्र में हिंदुत्व है. इस कार्यक्रम की विशिष्टता तीनों दिन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा राष्ट्रीय महत्व के विभिन्न समसामयिक विषयों पर संघ के विचार प्रस्तुत किए जाने हैं.

यहां करीब 700-750 मेहमानों के आने की संभावना है. इनमें से 90 फीसदी लोग संघ से नहीं हैं. मोहन भागवत शुरुआती दो दिन कार्यक्रम को संबोधित करेंगे, इसके अलावा आखिरी दिन वह जनता के सवालों का जवाब देंगे. मोहन भागवत इस दौरान करीब 200 से अधिक सवालों का जवाब देंगे.

इस कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, दिग्विजय सिंह और जयराम रमेश को निमंत्रण भेजे जाने की भी खबर थी. हालांकि, राहुल गांधी को ऐसा कोई निमंत्रण मिलने की बात से कांग्रेस ने इनकार किया है. वहीं, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आजतक के कार्यक्रम में ही वहां जाने से इनकार कर चुके हैं. जबकि कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़ने ने भी साफतौर पर राहुल गांधी से आरएसएस कार्यक्रम में न जाने का आह्वान किया है.

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वहीं, सीताराम येचुरी और दिग्विजय सिंह जैसे दिग्गज नेताओं को भी इस कार्यक्रम के लिए निमंत्रण भेजे जाने की चर्चा थी, लेकिन उनकी तरफ से इसका इनकार किया गया है. यानी संघ के कार्यक्रम में विपक्षी दलों के नेताओं का पहुंचना नामुमकिन नजर आ रहा है.

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