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ट्रेन 18 को मिला ग्रीन सिगनल, हरी झंडी दिखाने के PM से मांगा गया समय

Make in India के तहत बनी सेमी बुलेट ट्रेन ट्रेन-18 को आखिरकार केंद्र सरकार के विद्युत निरीक्षक यानी कि आईजी की मंजूरी मिल गई है. ट्रेन को मंजूरी 3 दिनों तक पूरी जांच करने के बाद दी गई है. गौरतलब है चीफ कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी यानी सीसीआरएस की सशर्त मंजूरी के बाद पिछले 1 महीने से यह ट्रेन रेलवे के रोलिंग स्टॉक विभाग की उठाई गई आपत्तियों के बाद अधर में लटकी हुई थी, लेकिन अब यह ट्रेन परीक्षण में पास हो गई है.

ट्रेन-18 (फाइल फोटो) ट्रेन-18 (फाइल फोटो)
सिद्धार्थ तिवारी
  • नई दिल्ली,
  • 25 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 6:47 AM IST

मेक इन इंडिया के तहत बनी सेमी बुलेट ट्रेन ट्रेन-18 को आखिरकार केंद्र सरकार के विद्युत निरीक्षक यानी कि आईजी की मंजूरी मिल गई है. ट्रेन को मंजूरी 3 दिनों तक पूरी जांच करने के बाद दी गई है. गौरतलब है चीफ कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी यानी सीसीआरएस की सशर्त मंजूरी के बाद पिछले 1 महीने से यह ट्रेन रेलवे के रोलिंग स्टॉक विभाग की उठाई गई आपत्तियों के बाद अधर में लटकी हुई थी, लेकिन अब यह ट्रेन परीक्षण में पास हो गई है.

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रेल मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी के मुताबिक अब ट्रेन-18 को चलाने की तैयारी शुरू कर दी गई है. प्रधानमंत्री के पास इस ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के लिए टाइम मांगा गया है. जैसे ही प्रधानमंत्री समय दे देंगे वैसे ही तय हो जाएगा कि इस ट्रेन को कब लॉन्च किया जाएगा.

ऐसी उम्मीद है इस ट्रेन को अगले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री हरी झंडी दिखाएंगे. ट्रेन 18 को नई दिल्ली से वाराणसी के बीच चलाने का फैसला पहले ही किया जा चुका है. इन दोनों शहरों के बीच की दूरी यह ट्रेन महज 8 घंटे में तय करेगी. इस ट्रेन को नई दिल्ली से कानपुर होते हुए प्रयागराज और फिर वाराणसी ले जाया जाएगा.

ट्रेन-18 का वाराणसी और दिल्ली के बीच संचालन सुगमता से हो इसके लिए रेलवे ने कमर कस ली है. अभी तक दिल्ली से वाराणसी के बीच चलने वाली ट्रेनें आमतौर पर 11 घंटे का टाइम लेती हैं. ट्रेन-18 के चलने के बाद यह वक्त महज 8 घंटे का रह जाएगा.

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गौरतलब है ट्रेन-18 अत्याधुनिक ट्रेन है और इसको देश में चेन्नई के इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में तैयार किया गया है. इस ट्रेन में ऑटोमेटिक दरवाजे हैं. इसमें अत्याधुनिक लाइटिंग व्यवस्था है. दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक टॉयलेट है. पूरी ट्रेन 16 डिब्बों की है और इसमें आम रेलगाड़ियों की तरह अलग से इंजन नहीं लगाना पड़ेगा. तमाम सुख सुविधाओं से लैस इस ट्रेन को 6 से 8 घंटे की दूरी के बीच चलाने के लिए मुफीद माना जा रहा है. इस ट्रेन में सिर्फ और सिर्फ चेयरकार है.

यूरोपीयन मानकों के लिहाज से बनाई गई इस सेमी बुलेट ट्रेन का किराया मौजूदा ट्रेनों के मुकाबले ज्यादा रखे जाने की संभावना है.

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