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मोदी सरकार पर मनमोहन का वार, नोटबंदी को बताया आर्थिक मोर्चे पर 'ब्लंडर'

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, 'इसका (नोटबंदी का) तुरंत असर नौकरियों पर पड़ा है. हमारे देश की तीन चौथाई गैर-कृषि रोजगार छोटे और मझोले उद्यमों के क्षेत्र में हैं. नोटबंदी से इस क्षेत्र को सबसे अधिक नुकसान हुआ है. इसलिए नौकरियां चली गईं और नई नौकरियां पैदा नहीं हो रही हैं.'

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (फाइल) पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (फाइल)
नंदलाल शर्मा
  • नई दिल्ली ,
  • 06 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 4:33 PM IST

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को 'विनाशकारी आर्थिक नीति' (कैटस्ट्रॉफिक इकोनॉमी पॉलिसी) करार दिया है और कहा है कि इससे असमानता बढ़ सकती है और भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में यह 'अब तक की सबसे बड़ी सामाजिक विपत्ति' साबित होगी.

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि इस 'भारी गलती' को स्वीकार करें और अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए आम सहमति की दिशा में काम करें.

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उन्होंने कहा, 'नोटबंदी एक विनाशकारी आर्थिक नीति साबित होने जा रही है. इसके कारण कई तरह की आर्थिक, सामाजिक, प्रतिष्ठात्मक और संस्थागत क्षति हुई है. जीडीपी का गिरना आर्थिक नुकसान का महज एक संकेतक है. इसका हमारे समाज के गरीब तबकों पर और व्यापार पर जो असर हुआ है, वह किसी आर्थिक सूचक की तुलना में कहीं अधिक हानिकारक है.'

पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, 'इसका (नोटबंदी का) तुरंत असर नौकरियों पर पड़ा है. हमारे देश की तीन चौथाई गैर-कृषि रोजगार छोटे और मझोले उद्यमों के क्षेत्र में हैं. नोटबंदी से इस क्षेत्र को सबसे अधिक नुकसान हुआ है. इसलिए नौकरियां चली गईं और नई नौकरियां पैदा नहीं हो रही हैं.'

उन्होंने कहा, 'मैं नोटबंदी के दीर्घकालिक असर के बारे में चिंतित हूं. हालांकि जीडीपी में हाल की गिरावट के बाद सुधार दिख रही है लेकिन हमारे आर्थिक विकास की प्रकृति के लिए बढ़ती असमानता एक बड़ा खतरा है. नोटबंदी इसे बढ़ा सकती है, जिसे भविष्य में सुधारना कठिन होगा.'

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की थी और कहा था कि इससे काले धन, भ्रष्टाचार, नकली मुद्रा और आतंकवादियों के वित्त पोषण पर रोक लगेगी. हालांकि बाद में उन्होंने यह कहा कि इसका उद्देश्य नकदी लेन-देन को कम करने और अर्थव्यवस्था को डिजिटल भुगतान की तरफ ले जाना है.

मनमोहन सिंह ने कहा कि यह लक्ष्य प्रशंसनीय है, लेकिन सरकार को आर्थिक प्राथमिकताओं को दुरुस्त करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यह साफ नहीं है कि नकदीरहित अर्थव्यवस्था का लक्ष्य छोटे उद्योग को बड़ा बनाने में सक्षम होगा ही जबकि यह हमारी प्राथमिकता होना चाहिए.

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