
नरेंद्र मोदी के खिलाफ डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन के राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किए जाने के बाद अन्य विपक्षी दलों की ओर आलोचना की जा रही है तो इस पर दक्षिण के इस दिग्गज नेता ने अब अपनी सफाई भी दी है.
चेन्नई में रविवार को विपक्ष की ओर से राहुल गांधी का नाम पीएम कैंडिडेट के लिए प्रस्तावित करते हुए डीएमके अध्यक्ष स्टालिन ने कहा था कि राहुल गांधी में मोदी सरकार को हराने की ताकत है और वे पीएम पद के लिए राहुल गांधी के नाम को प्रस्तावित करते हैं.
हालांकि उनके इस प्रस्ताव का कई लोग समर्थन कर रहे हैं तो विपक्ष का एक बड़ा तबका उसकी आलोचना कर रहा है. अपने बयान पर अब स्टालिन ने सफाई देते हुए बताया कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा था.
स्टालिन ने कहा कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के लिए प्रोजेक्ट करना सेकुलर फोर्सेस को एकजुट बनाए रखने की दिशा में सही कदम है. राहुल 3 बीजेपी शासित राज्यों में कांग्रेस की जीत के नायक बनकर उभरे हैं.
उन्होंने आगे कहा, 'हमें लोकतांत्रिक ताकतों में समन्वय बनाए रखने के लिए एक मजबूत नेतृत्व की जरुरत है और इसीलिए मैंने राहुल का नाम प्रस्तावित किया. मैं इस बात से आश्वस्त हूं कि हमारे सहयोगी इसे समझेंगे.'
हालांकि चेन्नई में राहुल की तारीफ और उन्हें पीएम का कैंडिडेट घोषित किए जाने तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भौहें तन गईं. टीएमसी सूत्रों के मुताबिक पार्टी स्टालिन के इस रुख से सहमत नहीं है.
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के एक नेता ने कहा कि पूरे विपक्ष का मानना है कि पीएम पद के लिए किसी भी नाम का आगे बढ़ाना स्वागतयोग्य नहीं है. हमने पहले भी कहा है कि प्रधानमंत्री का नाम चुनाव नतीजों के बाद ही तय किया जाएगा. इस कदम का असर बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट होने में पड़ सकता है. टीएमसी ने कहा कि कांग्रेस भी अभी किसी नेता का नाम आगे नहीं बढ़ा रही है तो फिर दूसरी पार्टियां ऐसे कदम क्यों उठा रही है.
टीएमसी के अलावा अन्य कई विपक्षी दलों के कई नेता भी 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन की ओर से किसी का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए पेश किए जाने के खिलाफ हैं. विपक्षी खेमे के सूत्रों ने यह जानकारी दी. विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, "विपक्ष के कई नेता प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में किसी का नाम घोषित किये जाने के खिलाफ हैं. सपा, तेदेपा, बसपा, तृणमूल और राकांपा स्टालिन की घोषणा से सहमत नहीं है. यह जल्दीबाजी है. लोकसभा परिणामों के बाद ही प्रधानमंत्री का निर्णय होगा."