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आर्थिक सर्वेः प्लान बना रही है सरकार, बिजली से चलें बाइक और कार

आर्थिक समीक्षा में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय 2018 का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि भारत में औद्योगिक क्षेत्र के बाद परिवहन क्षेत्र कार्बन डाईऑक्साइड का दूसरा सबसे बड़ा उत्सर्जन क्षेत्र है. देश में कार्बन डाईऑक्साइड कुल उत्सर्जन में सड़क परिवहन का लगभग 90% योगदान है.

इलेक्ट्रिक कारों की बढ़ेगी डिमांड (फाइल फोटो-गेटी) इलेक्ट्रिक कारों की बढ़ेगी डिमांड (फाइल फोटो-गेटी)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 4:16 PM IST

केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमन ने आज यानी गुरुवार को संसद में आर्थिक समीक्षा 2018-19 पेश की. इसमें बताया गया है कि विद्युत वाहनों की भारत में व्यापक संभावना है. इससे लगता है कि केंद्र सरकार बिजली से चलने वाली गाड़ियों के लिए प्लान बना रही है. ऐसा इसलिए नहीं कि यह वाहन पर्यावरण अनुकूल हैं बल्कि ये इसलिए भी जरूरी हैं कि भारत विद्युत वाहनों के विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर सकता है.

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इससे रोजगार और प्रगति के अवसरों का सृजन होगा. समीक्षा में बताया गया है कि विद्युत वाहनों की कुल लागत कम करने और सभी उपभोक्ताओं के लिए इन्हें परंपरागत वाहनों का आकर्षक विकल्प बनाने के लिए उपयुक्त नीतिगत प्रयास किए जाने की जरूरत है. 2030 तक अगर कुल वाहनों में 30 से 80 फीसदी वाहन विद्युत वाले हो जाएं तो कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में भारी कमी और बड़ी मात्रा में तेल की बचत की जा सकती है.

तो कम हो जाएगा 846 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन

नीति आयोग का उल्लेख करते हुए आर्थिक समीक्षा में यह अनुमान लगाया गया है कि अगर 2030 तक निजी कारों में विद्युत वाहनों की 30%, कॉमर्शियल कारों में 70%, बसों में 40%, दो और तीन पहिया वाहनों में 80% पहुंच हो जाए तो कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 846 मिलियन टन तथा 474 मिलियन एमटीओई की तेल बचत हो सकती है. इससे विद्युत वाहनों के विनिर्माण के केंद्र के रूप में विकसित होने का अवसर भी मिलेगा.

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कार्बन डाईऑक्साइड का दूसरा सबसे बड़ा उत्सर्जन क्षेत्र है परिवहन

आर्थिक समीक्षा में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (2018) का उल्लेख करते हुए बताया है कि भारत में औद्योगिक क्षेत्र के बाद परिवहन क्षेत्र कार्बन डाईऑक्साइड का दूसरा सबसे बड़ा उत्सर्जन क्षेत्र है. देश में कुल उत्सर्जन में सड़क परिवहन का लगभग 90% योगदान है. पेट्रोलियम उत्पादों के लिए देश की भारी आयात निर्भरता को देखते हुए यह आवश्यक है कि हमारी गतिशीलता में स्थाई रूप से मदद करने के लिए वैकल्पिक ईंधनों पर ध्यान दिया जाए.

जानिए...किस देश में चलते हैं कितने इलेक्ट्रिक वाहन

विद्युत वाहनों की वैश्विक स्थिति की समीक्षा करते हुए बताया गया है कि चीन में विद्युत वाहनों का बाजार में हिस्सा करीब 2%, नार्वे में 39% जबकि भारतीय बाजार में विद्युत कारों का हिस्सा केवल 0.06% है. नीति आयोग का उल्लेख करते हुए समीक्षा में बताया गया है कि भारत में दो पहियों वाले विद्युत वाहनों का बिक्री में बड़ा हिस्सा है. 2018 में ऐसे करीब 54,800 विद्युत वाहनों की बिक्री हुई. अब यह जरूरी हो गया है कि सड़क नेटवर्क के साथ पर्याप्त संख्या में चार्जिंग स्टेशन भी बनाए जाएं.

इन वजहों से नहीं बिक रहे हैं विद्युत वाहन

  • भारत में चार्जिंग बुनियादी ढांचे की सीमित उपलब्धता विद्युत वाहनों की खरीददारी बढ़ाने में मुख्य बाधा है.
  • विद्युत वाहनों की पूरी चार्जिंग में लगने वाला समय भी एक अन्य समस्या है.
  • ऐसे बुनियादी ढांचे को जुटाने और निवेश को बढ़ाने में देश के लिए वैश्विक चार्जिंग मानकों के साथ एक महत्वपूर्ण नीति बनाई जाने की जरूरत है.
  • ऑनलाइन नक्शों और अन्य माध्यमों से विद्युत वाहनों के उपयोगकर्ताओं को सार्वजनिक चार्जरों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराना भी जरूरी है.
  • भारत में अधिक तापमान परिस्थितियों में अच्छी तरह काम कर सकने वाली उचित बैटरी प्रौद्योगिकियों के विकास की जरूरत है.

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