
सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मामले पर अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि दोनों पक्ष आपस में मिलकर इस मामले को सुलझाएं. अगर जरूरत पड़ती है तो सुप्रीम कोर्ट के जज मध्यस्थता को तैयार हैं. बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया था कि वह पिछले छह साल से लंबित राम मंदिर अपील पर सुनवाई करे और कोर्ट को इस मसले पर जल्द फैसला सुनाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने कहा कि यह मामला धर्म और आस्था से जुड़ा हुआ है, इसलिए दोनों पक्ष आपस में बैठें और बातचीत के जरिये हल निकालने की कोशिश करें. कोर्ट ने दोनों पक्षों को बातचीत के लिए अगले शुक्रवार यानी 31 मार्च तक का समय दिया है.
राम मंदिर/बाबरी मस्जिद का आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट के लिए पहले भी विभिन्न पक्षों के बीच बातचीत होती रही है. इस मसले को सुलझाने के लिए कई प्रयास हुए हैं. आइए एक नजर डालते हैं इन प्रयासों के इतिहास पर-
1. 1986 में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष तथा कांची कामकोटि के जगतगुरु द्वारा प्रयास हुए थे, लेकिन उन्हें विफलता हासिल हुई थी.
2. 1989 और 1990 के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह के कार्यकाल के दौरान प्रयास किए गए थे. उन्होंने जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में तीन सदस्यों की समिति गठित की थी, लेकिन उसके बाद इस मसले में आगे कुछ नहीं हुआ.
3. 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों की तीन सदस्यों कमेटी उस समय के गृह राज्य मंत्री सुबोध कांत सहाय की अगुआई में बनाई थी. इस कमेटी ने विहिप और ऑल इंडिया बाबरी एक्शन कमेटी के सदस्यों के साथ कई मीटिंग की ताकि मामले का हल निकल जा सके. लेकिन इनके द्वारा किए गए सारे प्रयास विफल रहे और असफलता ही हाथ लगी.
4. 1992 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने उस समय के गृह राज्य मंत्री कुमारमंगलम की संयोजकता में कुछ मंत्रियों की समिति बनाई थी. इस समिति ने कई बैठकें की थी, परंतु यह पूरी तरह भंग ही हो गई.
5. पूर्व राष्ट्रपति वेंकटरमन ने 2002 में बातचीत का प्रयास करवाया था, इनके प्रयासों के कारण ही उस समय के ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष और जगतगुरु शंकराचार्य के बीच मीटिंग हुई थी. हालांकि इस मीटिंग में कोई नतीजा नहीं निकला था.
6. 2003 में भी कांची कामकोटि के जगतगुरु ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रेजिडेंट से बातचीत का प्रयास किया, लेकिन प्रयास विफल ही रहा.
7. अक्टूबर 2010 में अयोध्या विवाद के सबसे पुराने पक्षकार हाशिम अंसारी ने, जिनकी मृत्यु जुलाई 2016 में हुई, इस मुद्दे का आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट करने की हिमायत की थी. ये बातें उन्होंने महंत ज्ञान दास से मिलने के बाद की थी. मई 2016 में भी हाशिम अंसारी की मुलाकात महंत नरेंद्र गिरी से हुई थी. मुलाकात के बाद दोनों पक्ष ने कहा कि इस मसले को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने का रास्ता तलाशना चाहिए.