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EVM से छेड़छाड़ के आरोपों पर भड़का EC, कहा- कोर्ट में करें शिकायत

विपक्षी पार्टियां लगा रही EVM से छेड़छाड़ के आरोप. चुनाव आयोग ने VVPAT स्लिप्स की गिनती से किया इनकार. आयोग ने शिकायत करने वालों को अदालत में election petition दायर करने का सुझाव दिया.

चुनाव आयोग चुनाव आयोग
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 15 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 4:16 PM IST

बीती 11 तारीख को पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे सामने आए. इससे जहां कुछ दल जीते वहीं दूसरों को हार मिली. उसके बाद से ही सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा. विपक्षी पार्टियां EVM से छेड़छाड़ के आरोप लगा रही हैं. इन परिस्थितियों के मद्देनजर चुनाव आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों ने साफ किया है कि चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद अब VVPAT स्लिप्स की गिनती का सवाल ही नहीं उठता. चुनाव आयोग अब इस पर कुछ नहीं करेगा. आयोग ने शिकायत करने वालों को अदालत में election petition दायर करने का सुझाव दिया है.

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आयोग का कहना है कि VVPAT स्लिप्स पूरी तरह सुरक्षित ढंग से सम्भाल कर रखी गई हैं. अब केवल अदालत के आदेश पर ही उनकी गिनती संभव हो सकती है. चुनाव आयोग का कहना है कि वे चुनाव प्रक्रिया पूरी होने की विस्तृत रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप चुके हैं.

आयोग के तकनीक विशेषज्ञों की राय में 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने भी पूरी सुनवाई के बाद कहा था कि EVM तकनीकी तौर पर टेम्पर प्रूफ हैं. हालांकि वे समय-समय पर तकनीकी विकास की जरूरतक बताते हैं. यही वजह है कि 2009 के बाद से अब तक EVM में 5 बार बड़े-बड़े बदलाव हुए हैं.

उन्ही बदलावों का नतीजा है कि इन मशीनों को इंटरनेट, वाईफाई या ब्लू टूथ से प्रभावित नहीं किया जा सकता. VVPAT भी ऐसे ही प्रयासों का नतीजा है. गौरतलब है कि पिछले साल 32,000 EVM में VVPAT सिस्टम लगाया गया था. यानि अब कुल 52000 EVM को VVPAT युक्त कर दिए गए हैं. पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव में गोवा की सभी सीटों पर VVPAT के साथ मतदान संपन्न हुए.

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आयोग की योजना के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव पूरे देश में VVPAT के साथ ही संपन्न होंगे. इस बदलाव में 5000 करोड़ रूपये की लागत आएगी. इसका क्रमिक प्रावधान बजट में भी किया गया है. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी के मुताबिक देश भर में कोई भी अब तक इन EVM को टेंपर नहीं कर पाया है. विदेशी वैज्ञानिक संस्थानों के लिए भी स्वदेश में निर्मित ये EVM बड़ी चुनौती हैं. वो वैज्ञानिक भी अब तक इसकी अतिसुरक्षित किलेबंदी में सेंध नहीं लगा पाये हैं.

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