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सुषमा स्वराज के साथ बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता 2019 की रेस से होंगे 'बाहर'

कई बुजुर्ग वरिष्ठ नेता चुनावी राजनीति से ही दूरी बना सकते हैं. इनमें सुषमा स्वराज के अलावा भाजपा के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, भुवनचंद्र खंडूड़ी, शांता कुमार, करिया मुंडा, कलराज मिश्रा, हुकुम देव यादव,  बिजॉय चक्रवर्ती, भगत सिंह कोश्यारी जैसे नाम प्रमुख हैं.

सुषमा स्वराज (फाइल फोटो) सुषमा स्वराज (फाइल फोटो)
अजीत तिवारी/हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 10:33 AM IST

भाजपा की वरिष्ठ नेता व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के लोकसभा चुनाव न लड़ने की घोषणा के बाद पार्टी के लगभग आधा दर्जन बुज़ुर्ग नेता भी लोकसभा के चुनाव मैदान से हट सकते हैं. सुषमा स्वराज ने हाल में ही स्वास्थ्य संबंधी कारणों से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की थी. साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि चुनावी राजनीति छोड़ रही हैं. हालांकि, उनके अगले साल राज्यसभा में आने की संभावना है.

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सुषमा के अलावा भी कई बुजुर्ग वरिष्ठ नेता चुनावी राजनीति से ही दूरी बना सकते हैं. इनमें भाजपा के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, भुवनचंद्र खंडूड़ी, शांता कुमार, करिया मुंडा, कलराज मिश्रा, हुकुम देव यादव,  बिजॉय चक्रवर्ती, भगत सिंह कोश्यारी जैसे नाम प्रमुख हैं.

सूत्रों के अनुसार 2019 में भाजपा के चुनाव न लड़ने वाले वरिष्ठ नेताओं की भूमिका भी इस बार बदलेगी. भाजपा मागदर्शक मंडल के सदस्य व पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी लोकसभा चुनाव मैदान में उतरने के बजाए अन्य भूमिकाओं में आ सकते हैं.

बीजेपी में अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी युग समाप्ति की शुरुआत 2009 के लोकसभा चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में पार्टी के साथ ही शुरू हो गई थी. 2009 के अंत में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष से लालकृष्ण आडवाणी की विदाई हुईं और सुषमा स्वराज को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया. उसके बाद नितिन गड़करी पार्टी अध्यक्ष बने, साथ ही संघ ने वरिष्ठ नेताओं के बारे अपने मंसूबे साफ कर दिए थे.

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2014 में केंद्र में पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद अमित शाह को पार्टी की कमान दे दी गई. उसके बाद उन्होंने अपनी टीम में युवा चेहरों को जगह दी और साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनहोर जोशी को संसदीय बोर्ड से बाहर का रास्ता दिखाकर मार्गदर्शक मंडल का सदस्य बना दिया. पिछले साढ़े 4 साल में एक भी मार्गदर्शक मंडल की बैठक नहीं हुईं.

जैसे-जैसे 2019 का चुनाव नजदीक आता जाएगा बीजेपी के अंदर और बाहर कई बदलाव देखने को मिलेंगे.

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