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2050 तक डूब जाएंगे मुंबई-कोलकाता, 3.5 करोड़ लोगों पर खतरा, पर्यावरण पर ग्लोबल रिपोर्ट

देश की 3.60 करोड़ आबादी भयावह प्राकृतिक आपदा के मुहाने पर खड़ी है. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि अब से करीब 30 साल बाद मुंबई, कोलकाता समेत देश के कई तटीय इलाके डूब जाएंगे. या फिर इन्हें हर साल भयानक बाढ़ का सामना करना पड़ेगा.

2050 से मुंबई-कोलकाता को हर साल जूझना होगा तटीय बाढ़ से. (फाइल फोटोः इंडिया टुडे) 2050 से मुंबई-कोलकाता को हर साल जूझना होगा तटीय बाढ़ से. (फाइल फोटोः इंडिया टुडे)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 10:38 AM IST

  • सूरत, केरल और तमिलनाडु मुसीबत में
  • तेजी से बढ़ रहा है समुद्र का जलस्तर

देश की 3.60 करोड़ आबादी भयावह प्राकृतिक आपदा का मुहाने पर खड़ी है. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि अब से करीब 30 साल बाद मुंबई, कोलकाता समेत देश के कई तटीय इलाके डूब जाएंगे. या फिर इन्हें हर साल भयानक बाढ़ का सामना करना पड़ेगा. इन इलाकों को मॉनसूनी मौसम में भारी बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है. अमेरिकी संस्थान क्लाइमेट सेंट्रल की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. इस रिपोर्ट के अनुसार इस सदी के मध्य तक ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का जल-स्तर तेजी से बढ़ा तो भारत भी उससे अछूता नहीं रहेगा.

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इस रिपोर्ट के अनुसार यह माना जा रहा था कि इससे वे हिस्से पानी में डूब जाएंगे, जो तटों के किनारे बसे हैं. या जिनका भू-स्तर काफी नीचे है. इस रिपोर्ट के मुताबिक समुद्री जलस्तर में इजाफा होने से 2050 तक दुनिया भर के 10 देशों की आबादी पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. तेज शहरीकरण एवं आर्थिक वृद्धि के चलते तटीय बाढ से मुंबई और कोलकाता के लोगों को सबसे ज्यादा खतरा है.

नासा के शटल राडार टोपोग्राफी मिशन के जरिए हुए अध्ययन से ये नतीजे निकाले गए हैं कि साल 2050 तक समुद्र का जल स्तर इतना बढ़ जाएगा कि भारत के मुंबई, नवी मुंबई और कोलकाता जैसे महानगर भी सदा के लिए जलमग्न हो सकते हैं. इससे करीब तीन करोड़ लोगों को विस्थापन की समस्या से जूझना पड़ सकता है.

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2050 तक देश के इन राज्यों को है सबसे ज्यादा खतरा

1. सूरत

50 लाख की आबादी वाला सूरत को हर साल बाढ़ की भयावह त्रासदी का सामना करना पड़ सकता है. यहां समुद्र का जलस्तर काफी तेजी से बढ़ता हुआ दर्ज किया जा रहा है.

2. कोलकाता

1.50 करोड़ की आबादी वाला यह शहर और प. बंगाल की राजधानी को सबसे ज्यादा खतरा बंगाल की खाड़ी और हुगली नदी की शाखाओं के जलस्तर बढ़ने से है. कोलकाता हुगली नदी के बाढ़ से ज्यादा प्रभावित हो सकता है.

3. मुंबई

1.80 करोड़ की आबादी वाली देश की आर्थिक राजधानी वैसे ही हर साल बाढ़ से परेशान होती है. लेकिन 2050 तक इसकी हालत बदतर हो जाएगी. तटीय बाढ़ की वजह से मुंबई के कई इलाके डूब जाएंगे.

4. ओडिशा

ओडिशा के पारादीप और घंटेश्वर जैसे तटीय इलाकों में रहने वाले करीब 5 लाख लोगों की आबादी 2050 तक तटीय बाढ़ की जद में आ जाएगी. यहां भी खतरा बढ़ा जाएगा.

5. केरल

पिछली साल आई बाढ़ ने केरल में 1.4 करोड़ लोगों को प्रभावित किया था. 2050 तक अलापुझा और कोट्टायम जैसे जिलों को तटीय बाढ़ जैसी आपदाओं का सामना करना पड़ेगा.

6. तमिलनाडु

इस राज्य के तटीय इलाके भी बाढ़ और बढ़ते समुद्री जलस्तर से अछूते नहीं रहेंगे. इसमें चेन्नई, थिरवल्लूर, कांचीपुरम प्रमुख हैं. अकेले चेन्नई में 70 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं. जिन्होंने हाल ही में बाढ़ और सूखे दोनों की समस्या का सामना किया है.

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इन देशों को भी है बड़ा खतरा

2050 तक समुद्र की सतह में इजाफा होने से दुनिया भर में जिन 10 देशों की आबादी सबसे ज्यादा प्रभावित होगी उनमें से 7 देश एशिया प्रशांत क्षेत्र के हैं. सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में भारत सबसे ऊपर है. भारत के लगभग 4 करोड़ लोग जोखिम में होंगे. बांग्लादेश के 2.5 करोड़, चीन के 2 करोड़ और फिलीपींस के तकरीबन 1.5 करोड़ लोगों को खतरा होगा. भारत में मुंबई और कोलकाता को, चीन में गुआंगझो और शंघाई को, बांग्लादेश में ढाका को, म्यांमार में यंगून को, थाईलैंड में बैंकाक को और वियतनाम में हो ची मिन्ह सिटी तथा हाइ फोंग को चिह्नित किया गया है. नया अध्ययन बता रहा है कि समुद्र का जल-स्तर बढ़ने से दुनिया की लगभग 30 करोड़ आबादी प्रभावित होगी. अकेले बांग्लादेश में 9 करोड़ से ज्यादा लोग बेघर हो जाएंगे.

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