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25 विदेशी राजदूतों का प्रतिनिधिमंडल इसी हफ्ते करेगा घाटी का दौरा

पिछली बार अमेरिकी राजदूत समेत 15 राजदूतों ने जम्मू और कश्मीर का दौरा किया था तो यूरोपीय संघ ने खुद को अलग रखा था. लेकिन इस बार यूरोपीय संघ के राजदूत खुद जम्मू और कश्मीर जा रहे हैं.

इस बार यूरोपीय संघ के राजदूत खुद जम्मू और कश्मीर जा रहे हैं इस बार यूरोपीय संघ के राजदूत खुद जम्मू और कश्मीर जा रहे हैं
गीता मोहन
  • नई दिल्ली,
  • 11 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 2:32 PM IST

  • 25 विदेशी राजदूतों के प्रतिनिधिमंडल EU मिशन प्रमुख भी होंगे शामिल
  • प्रतिनिधिमंडल में जर्मनी, कतर और अफगानिस्तान के राजदूत भी रहेंगे शामिल

भारत सरकार 25 विदेशी राजदूतों के प्रतिनिधिमंडल के जम्मू और कश्मीर के दूसरे दौरे की तैयारी कर रही है. ये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को ज़मीनी स्थिति से अवगत कराने के प्रयासों के तहत किया जा रहा है. सूत्रों ने बताया कि ये दो दिन का दौरा इस हफ्ते हो सकता है और इसमें विभिन्न देशों के भारत स्थित मिशनों के प्रमुख हिस्सा ले सकते हैं. इनमें यूरोपीय देशों के राजदूत भी शामिल होंगे.

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इंडिया टुडे को पता चला है कि यूरोपीय संघ के भारत स्थित राजदूत उगो अस्तुतो भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हो सकते हैं. भारत की कोशिश यूरोपीय संघ के अलग से प्रतिनिधिमंडल को घाटी ले जाना चाहती है. इसलिए व्यवस्था को लेकर थोड़ा होमवर्क किए जाना बाकी है.

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पिछली बार अमेरिकी राजदूत समेत 15 राजदूतों ने जम्मू और कश्मीर का दौरा किया था तो यूरोपीय संघ ने खुद को अलग रखा था. लेकिन इस बार यूरोपीय संघ के राजदूत खुद जम्मू और कश्मीर जा रहे हैं. ये बड़ा बदलाव है. ये घटनाक्रम ब्रुसेल्स में अगले महीने होने वाले यूरोपीय संघ-भारत शिखर सम्मेलन से पहले हो रहा है. इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिस्सा लेंगे.

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यूरोपीय संघ के राजदूत का प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल में भारत ने यूरोपीय संघ की संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) के साथ कश्मीर की स्थिति को लेकर भी कड़े प्रस्ताव लाए गए थे. हालांकि भारतीय राजनयिकों की टीम ने अपने प्रयासों से प्रस्तावों पर वोटिंग 31 मार्च तक स्थगित कराने में सफलता हासिल की.

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यूरोपीय संघ भारत का अहम कारोबारी पार्टनर है. दोनों पक्ष जहां अहम व्यापार समझौते को अंजाम देने के लिए बात कर रहे हैं वहीं यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा कारोबारी पार्टनर है. भारत की बात करें तो वो यूरोपीय संघ का 9वां सबसे बड़ा कारोबारी पार्टनर हैं. जम्मू और कश्मीर जाने वाले 25 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में जर्मनी, कतर और अफगानिस्तान के राजदूत भी शामिल रहेंगे. ऐसी मांगें लगातार रही हैं जिसमें जम्मू और कश्मीर से इंटरनेट पर लगी पाबंदियां हटाने और राजनीतिक लोगों को रिहा करने के लिए कहा.  

बता दें कि 5 अगस्त 2019 को जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद जो पाबंदियां लगाई गई थीं उनमें से कई को हटाया जा चुका है. संचार आंशिक तौर पर बहाल किए जा चुके हैं. लेकिन विदेशी राजनयिकों का ये दौरा जम्मू और कश्मीर  के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों- उमर अब्दुल्ला और  महबूबा मुफ्ती को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत निरूद्ध किए जाने के कुछ दिन बाद ही हो रहा है.

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