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EXCLUSIVE: देश में दवाइयों की आड़ में फैक्ट्रियों में बड़े पैमाने पर तैयार हो रहे हैं ड्रग्स

भारत में सीमा पार से आ रहा ड्रग्स एक बड़ी चिंता का विषय बना  हुआ है लेकिन एंटी-नारकोटिक्स एंजेंसियों के लिए हैरान कर देने वाला खुलासा हुआ है. देश में ही बड़े पैमाने पर ड्रग्स का उत्पादन किया जाता है, वो भी फार्मास्यूटिकल्स फैक्ट्रियों में, जिनके पास दवाएं बनाने  के लाइसेंस हैं.

अपनी ही जमीं पर बड़े पैमाने पर हो रहा है ड्रग उत्पादन अपनी ही जमीं पर बड़े पैमाने पर हो रहा है ड्रग उत्पादन
मोनिका शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 21 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 6:46 PM IST

एंटी-नारकोटिक्स एंजेंसियों ने देशभर में की गई छापेमारी के बाद खुलासा किया है कि पार्टियों में मिलने वाले ड्रग्स सीमा पार से छोटे-छोटे कंसाइनमेंट में नहीं आते, बल्कि इसका उत्पादन देश में ही बड़े पैमाने पर किया जाता है. ये जानकारी और ज्यादा हैरान करती है कि इन ड्रग्स को फार्मास्यूटिकल फैक्ट्रियों में ही तैयार किया जाता है.

नुकसान पहुंचाने वाले इन नशीले ड्रग्स को भारत में होने वाली बड़ी-बड़ी पार्टियों में सप्लाई किया जाता है. कभी न खत्म होने वाली मांग के चलते ड्रग्स तैयार करने का काम बड़े स्तर पर किया जाता है.

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इंडिया टुडे टीवी की तरफ से की गई एक पड़ताल में खुलासा हुआ है कि पार्टी ड्रग्स को औद्योगिक स्तर पर उन्हीं फैक्ट्रियों में तैयार किया जाता है, जिनके पास आम दवाएं बनाने के लिए लाइसेंस हैं. कम कीमत और आसानी से मिलने वाले पार्टी ड्रग्स जैसे एक्सटसी, मिआओ मिआओ, कैट वैलीअम आदि के खरीददार बंधे हुए हैं.

सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स(CBEC) के चेयरमेन नजीब शाह ने कहा, 'ये हमारे लिए चिंता का विषय है. रेवन्यू इंटेलिजेंट के डायरेक्टरेट ने ऐसी 8 से ज्यादा फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ किया है.'

आम यूनिटों की तरह शुरू होती हैं ये फैक्ट्रियां...
1. ड्रग सिंडिकेट इंडस्ट्रियल एरिया में एक फैक्ट्री किराये पर लेते हैं.
2. इसके बाद वो फैक्ट्री के लिए एक केमिस्ट और कर्मचारियों को रखते हैं.
3. इसके बाद वो असली दवाएं बनाने के लिए लाइसेंस हासिल करते हैं.
4. लाइसेंस मिलते ही ड्रग्स तैयार करने का काम शुरू हो जाता है.

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देशभर में की गई छापेमारी में कई गिरफ्तारियां भी की गई हैं. पूछताछ में सामने आया है कि बीते सालों में ड्रग ऑपरेशन्स में इजाफा हुआ है. गिरफ्तार किए गए ड्रग्स मेकर्स ने बताया कि फर्जी यूनिटें चलती रहती हैं और अब हिमाचल प्रदेश में इन फैक्ट्रियों का ठिकाना बढ़ने लगा है.

इन छापेमारियों और जांच में सामने आया है कि ड्रग्स के आयात में आने वाली समस्या की वजह से नहीं बल्कि देश में बढ़ रही इसकी मांग की वजह से अपनी ही मिट्टी पर ड्रग्स फैक्ट्रियां फल-फूल रही हैं. चिंता की बात ये है कि न जाने कितनी ही फैक्ट्रियां दवाइयों की आड़ में ड्रग्स तैयार कर रही हैं और इन सबका पता लगाना आसान काम नहीं है.

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