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#MoodofNation देश में बढ़ रहा राहुल गांधी का ग्राफ, लेकिन मोदी PM के लिए पहली पसंद

इंडिया टुडे ग्रुप और कार्वी के सर्वे में जो आंकड़े आए हैं, उसके मुताबिक 13576 लोगों में से 40 फीसदी अभी भी पीएम के तौर पर नरेंद्र मोदी को अपनी पहली पंसद मानते हैं, लेकिन खास बात यह है कि देश में कांग्रेस के 'युवराज' राहुल गांधी का ग्राफ भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है.

प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी देश की पहली पसंद प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी देश की पहली पसंद
स्‍वपनल सोनल
  • नई दिल्ली,
  • 19 फरवरी 2016,
  • अपडेटेड 1:04 PM IST

बिहार के विधानसभा चुनाव में जब केंद्र में सत्तासीन बीजेपी को करारी मिली, तो सवाल सियासत से लेकर सियासी नेतृत्व पर भी उठने लगे. विपक्ष के साथ अपनों ने भी नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े किए. लेकिन क्या 2014 के लोकसभा चुनाव में अपार बहुमत के साथ सत्ता का सुख भोग रहे प्रधानमंत्री को लेकर देश का मिजाज भी बदला है?

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#MoodofNation पढ़ें, सर्वे में कैसे गिरा मोदी का ग्राफ

इंडिया टुडे ग्रुप और कार्वी के सर्वे में जो आंकड़े आए हैं, उसके मुताबिक 13576 लोगों में से 40 फीसदी अभी भी पीएम के तौर पर नरेंद्र मोदी को अपनी पहली पंसद मानते हैं, लेकिन खास बात यह है कि देश में कांग्रेस के 'युवराज' राहुल गांधी का ग्राफ भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है. राहुल बतौर पीएम उम्मीदवार 22 फीसदी लोगों की पसंद हैं, जबकि 32 फीसदी लोग मानते हैं कि कांग्रेस उपाध्यक्ष 2019 में नरेंद्र मोदी को कड़ी टक्कर देने वाले हैं.

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी को चुनौती देने वालों की सूची में दूसरे नंबर पर सोनिया गांधी हैं, तो तीसरे नंबर पर 12 फीसदी वोट के साथ ममता बनर्जी का नाम है. चौथे नंबर पर तीसरे मोर्चे की बागडोर थामे मुलायम सिंह यादव हैं तो 5वें स्थान पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल. बिहार के सीएम नीतीश कुमार और प्रियंका गांधी को इसके बाद जगह मिली है.

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कैसा है PM का कामकाज?
नरेंद्र मोदी की सरकार अपेक्षाओं की सरकार है. सत्तासीन एनडीए की इस सरकार को लेकर सर्वे में जहां लोगों ने यह माना कि अभी तक 'अच्छे दिन' लाने में प्रधानमंत्री नाकाम रहे हैं, वहीं पीएम के कामकाज को लेकर लोगों की अलग-अलग राय देखने को मिली है. सर्वे में शामिल 19 राज्यों के 97 संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं में 21 फीसदी ने मोदी सरकार को गरीबों की हितैषी माना है. जबकि 20 फीसदी यह कहते हैं कि केंद्र सरकार 'केवल बात करती है, काम नहीं'.

सरकार पर लगातार लग रहे 'अल्पसंख्यक विरोधी' होने के आरोपों को महज 12 फीसदी ने सही माना है, जबकि सरकारी कामकाज में 'आरएसएस के दखल' के आरोपों को भी सिर्फ 2 फीसदी ने ही सही माना है.

कैसे किया गया सर्वे
इंडिया टुडे ग्रुप और कार्वी का यह सर्वे 24 जनवरी से 5 फरवरी के बीच किया गया. इसके लिए 13576 लोगों से बात की गई. ये लो देश के 97 संसदीय क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं, जो 19 राज्यों के 194 विधानसभा क्षेत्र भी हैं.

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