
थल सेना प्रमुख बिपिन रावत ने पाकिस्तान को इशारों-इशारों में कड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि भारत के पास आतंकी हमलों से निपटने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक से भी अलग विकल्प मौजूद हैं.
इंडिया टुडे से खास बातचीत में जनरल रावत ने कहा, 'भारतीय सेना आज पहले से ज्यादा तैयार है. हमारे पास ऐसी स्थिति कभी नहीं रही कि हम 26/11 (मुंबई हमले) जैसे हालात से निपटने के अन्य विकल्प न मौजूद रहे हों. उन्होंने कहा कि भारत के पास आतंकी हमलों से निपटने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक के अलावा भी दूसरे अन्य विकल्प मौजूद हैं. हमें सर्जिकल स्ट्राइक-2 करने की जरूरत नहीं है.'
मुंबई हमले के 10 साल बाद सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने पाकिस्तान के छद्म युद्ध के बदलते तौर-तरीकों की समीक्षा की. पंजाब में फिर से सिर उठाते आतंक और इससे निपटने के रास्तों को लेकर जनरल रावत ने इंडिया टुडे के कार्यकारी संपादक संदीप उन्नीथन से खास बातचीत की है.
मुंबई हमले को सोमवार को 10 साल हो जाएंगे. जब सेना प्रमुख से यह पूछा गया कि अगर दोबारा मुंबई हमले जैसी घटना दोहराई जाती है तो सेना इससे कैसे निपटेगी. इस पर सेना प्रमुख ने कहा, 'बीती हुई घटना से हम काफी आगे बढ़ चुके हैं. आपने उरी में हमला देखा, उससे पहले मणिपुर में देखा कि हमने किस तरीके से जवाब दिया. जब हमने उरी में जवाब दिया था तो यह एक संदेश था, संदेश (आतंकियों के लिए) था. हम ऐसे और काम कर सकते हैं. यह सिर्फ सिग्नल है और भारतीय सेना सरकार के आदेश का पालन करने लिए पहले से कहीं ज्यादा तैयार है.'
जनरल रावत ने कहा, 'मैं यह कहने की कोशिश नहीं कर रहा हूं कि हम युद्ध को लेकर किसी तरह को तोल मोल करेंगे, लेकिन अगर हमें कोई एक्शन लेने को कहा गया तो हम उसमें सक्षम हैं. ऐसी स्थिति कभी नहीं आएगी जहां आप बड़े आतंकी हमलों से निपटने में सक्षम नहीं होंगे.'
बड़े आतंकी हमलों से कैसे निपटेंगे, के सवाल पर जनरल रावत ने कहा, 'हमारे पास विकल्प हैं. हमारे पास अलग-अलग तरह के विकल्प हैं. हर आदमी सर्जिकल स्ट्राइक-2 की बात कर रहा है, लेकिन आप हमेशा एक ही फॉर्मूला नहीं अपनाते हैं. क्योंकि जो कार्रवाई एक बार कर दी जाती है, उससे दुश्मन परिचित हो जाता है और सतर्क रहता है, और ऐसे हालात में एक्शन का उल्टा असर हो जाता है. इसलिए हमें अन्य विकल्पों को भी देखना चाहिए. कार्रवाई भी उसी तरीके से की जाती है जैसी उसकी मांग होती है.'