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Exclusive: TMC के इस सांसद ने मुकदमे में मोदी सरकार को हरा दिया

पश्चिम बंगाल के बोलपुर संसदीय सीट से टीएमसी सांसद डॉ. अनुपम हजारा शांति निकेतन के प्रसिद्ध विश्वभारती यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर थे. उन्हें कुछ साल पहले लाभ के पद पर रहने के आरोप में टर्मिनेट कर दिया गया था.

टीएमसी सांसद डॉ. अनुपम हजारा टीएमसी सांसद डॉ. अनुपम हजारा
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 27 जून 2018,
  • अपडेटेड 3:41 PM IST

तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद को सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार के खिलाफ मुकदमे में जीत मिली है. एक केंद्रीय यूनिवर्सिटी से अवैध तरीके से नौकरी से निकाले जाने के सिलसिले में उनका मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था.

पश्चिम बंगाल के बोलपुर संसदीय सीट से टीएमसी सांसद डॉ. अनुपम हजारा शांति निकेतन के प्रसिद्ध विश्वभारती यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर थे. उन्हें कुछ साल पहले लाभ के पद पर रहने के आरोप में टर्मिनेट कर दिया गया था. उन्होंने इसके विरोध में यूनिवर्सिटी के चांसलर पीएम मोदी को तमाम लेटर लिखे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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आखिरकार उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई. इस केस में वह अपने वकील खुद बने. उन्होंने इस मुकदमे में भारत सरकार, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय, विश्वभारती यूनिवर्सिटी और यूजीसी को पार्टी बनाया.

उन्होंने कहा कि सांसद पद पर रहने के दौरान यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर रहने जैसे लाभ के पद पर रहने का आरोप लगाते हुए उन्हें टर्मिनेट कर दिया गया था, जबक‍ि यह कानून के ख‍िलाफ है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के आदेश को खारिज करते हुए डॉ. हजारा को फिर से बहाल कर दिया. असल में कानून के मुताबिक प्रोफेसर की जॉब को लाभ के पद पर नहीं माना जाता.  

डॉ. अनुपम ने कहा, 'यह एक नैतिक जीत है. हम बार-बार भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने यह साबित किया है कि केंद्र सरकार जानबूझ कर कुछ मसलों को नजरअंदाज कर रही है. अभी तक वह देश के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में शामिल इस यूनिवर्सिटी के लिए एक वाइस चांसलर नियुक्त नहीं कर पाई है.'

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उन्होंने कहा, 'यह असल में विश्वभारती विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार का मामला है. मैंने वाइस चांसलर के खिलाफ आवाज उठाते हुए कई लेटर लिखे थे, लेकिन मेरा प्रयास व्यर्थ गया. इसके बाद मैंने तत्कालीन राष्ट्रपति को लेटर लिखा, जिसके बाद चांसलर को बर्खास्त किया गया. लेकिन उन्होंने मुझे टर्मिनेट कर दिया. अंतत: मैंने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली और जीत गया.'

अनुपम ने दावा किया कि बीजेपी के करीब 50 सांसद ऐसे हैं जो विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर हैं, लेकिन सिर्फ उन्हें तंग किया गया क्योंकि वह तृणमूल कांग्रेस से जुड़े हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे यूनिवर्सिटी में जिसमें पीएम चांसलर हैं, जब एक सांसद को प्रताड़ित किया जा रहा हो, अवैध तरीके से टर्मिनेट कर दिया गया हो, तो यह समझा जा सकता है कि वहां क्या हो सकता है.

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