नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. इस वीडियो में भारी संख्या में सिखों को नारेबाजी करते देखा जा सकता है. दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो पंजाब में एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते सिखों का है.
एक फेसबुक यूजर M King ने इस वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखा है, 'एनआरसी के खिलाफ आज पंजाब में विरोध प्रदर्शन के दौरान कोई भी पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था'. खबर लिखे जाने तक इस वीडियो को 4.23 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं, वहीं 22,000 से ज्यादा बार इसे फेसबुक पर शेयर किया गया है. पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने अपनी पड़ताल में पाया कि वीडियो के साथ किया जा रहा दावा गलत है. यह वीडियो 3 साल पहले अमृतसर में कट्टरपंथी सिखों द्वारा किए जा रहे एक विरोध प्रदर्शन का है, जो हिंदू संगठनों द्वारा बुलाई गई एक रैली का विरोध कर रहे हैं. इस वीडियो को गलत तरीके से एनआरसी से जोड़कर पेश किया जा रहा है.
वायरल वीडियो की पड़ताल के लिए हमने जब InVID टूल की मदद से वीडियो को रिवर्स सर्च किया तो हमें यूट्यूब पर यही वीडियो मिला, जिसे Khalsa Gatka Group नाम के एक यूट्यूब चैनल ने 25 मई 2016 को पोस्ट किया था.
वीडियो की सच्चाई जानने के लिए यूट्यूब चैनल के साथ दिए नंबर पर हमने इस यूट्यूब चैनल को चलाने वाले भूपिंदर सिंह से बात की. उन्होंने बताया कि यह वीडियो उन्होंने प्रदर्शन के दौरान खुद ही शूट किया था. उनके मुताबिक हिंदू संगठनों की ललकार रैली के खिलाफ सिखों के विरोध प्रदर्शन के दौरान यह वीडियो बनाया गया था और उस समय भारी संख्या में पुलिस बल भी तैनात थे.
हमने इसकी पुष्टि के लिए सिखों के इस विरोध प्रदर्शन से जुड़ी खबरें सर्च कीं तो पता चला कि वायरल वीडियो अमृतसर में एनएच 1 के करीब व्यास नदी पर जमा हुए कट्टरपंथी सिखों का है. वीडियो में खालिस्तान और भिंडरावाले के समर्थन में नारेबाजी साफ सुनी जा सकती है.
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 25 मई 2016 को हिंदू संगठन अमृतसर में ललकार रैली करने वाले थे, जिसके खिलाफ कट्टरपंथी सिख संगठनों ने अंख रैली का आयोजन किया था. इस दौरान हिंदू संगठनों के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन किए थे. हालांकि हिंदू संगठनों ने राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखने का हवाला देकर अपनी यह रैली रद्द कर दी थी.
इससे साफ है कि एनआरसी के मुद्दे से इस विरोध प्रदर्शन का कोई देना ही नहीं है. यह वीडियो सोशल मीडिया पर पहले से मौजूद है, जिसे गलत तरीके से एनआरसी से जोड़कर वायरल किया जा रहा है.