पिछले दिनों कुछ बच्चों की तस्वीर वायरल हो गई जिसमें कुछ बच्चे गंदगी के बीच टाट पर बैठकर पढ़ाई कर रहे थे. दावा किया गया कि ये गुजरात के सरकारी स्कूलों का हाल है. दावा ये भी किया कि सरकार 4000 करोड़ रुपये कुंभ पर खर्च करती है लेकिन 400 करोड़ रुपये बच्चों की पढ़ाई पर खर्च नहीं कर सकती.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि ये तस्वीर गुजरात की तो नहीं है लेकिन मध्य प्रदेश के सागर जिले के एक सरकारी स्कूल की है.
इस पोस्ट को फेसबुक पेज ‘Priyanka Gandhi - future of india’ पर 16 जुलाई को शेयर किया गया. कई और फेसबुक यूजर्स ने इस भ्रामक पोस्ट को शेयर किया.
रिवर्स सर्च की मदद से हमें अंग्रेजी अखबार Hindustan Times में एक लेख मिला जिसमें यही तस्वीर दूसरे एंगल से खींची गई है. लेख के मुताबिक ये तस्वीर सागर जिले के परसोरिया गांव के प्राइमरी स्कूल की है. यहां बच्चे इस तरह पढ़ाई को मजबूर हैं क्योंकि क्लास में बिजली नहीं है.
ये खबर जनवरी 2019 में पत्रकार अनुपम पटेरिया ने लिखी थी. तब तक मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आ चुकी थी. हमें खुद अनुपम ने इस खबर की पुष्टि की.
इस खबर में एक और दावा किया गया कि कुंभ पर 4000 करोड़ खर्च किये गए. इसकी पड़ताल करने पर हमें अखबारों की खबर मिली, जिनके मुताबिक यूपी सरकार ने इस बार इलाहाबाद में हुए अर्धकुंभ पर 4200 करोड़ रुपये खर्च किये जो अबतक के इतिहास में सबसे ज्यादा है.
हालांकि शिक्षा पर 400 करोड़ के खर्च की बात गलत है, सरकार ने शिक्षा पर 2019-20 के बजट में 400 करोड़ की अतिरिक्त राशि का आवंटन किया है जिससे विश्वस्तरीय संस्थाएं बनाईं जा सकें.
2019-20 में शिक्षा पर सरकार का कुल बजट करीब ₹94,854 करोड़ रुपये है. बिजनेस टुडे के मुताबिक 2018-19 में सरकार ने शिक्षा पर करीब 83000 हजार करोड़ खर्च किये थे.
इस तरह कहा जा सकता है कि बच्चों की तस्वीर के साथ किये गए सभी दावे गलत और भ्रामक हैं.