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जया के 'मिस्टर भरोसेमंद' रहे हैं पनीरसेल्वम, कुर्सी पर रखते थे फोटो

पनीरसेल्वम 2 बार तमिलनाडु के सीएम रह चुके हैं. 29 सितंबर 2014 को दोबारा मुख्यमंत्री बने पनीरसेल्वम ने 22 मई 2015 तक पद संभाला. इस दौरान सीएम रहते वो कभी जयललिता की कुर्सी पर नहीं बैठे.

जयललिता के साथ पनीरसेल्वम जयललिता के साथ पनीरसेल्वम
अंजलि कर्मकार
  • चेन्नई,
  • 06 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 10:43 AM IST

जयललिता के निधन के बाद ओ पनीरसेल्वम तमिलनाडु के नए सीएम बने हैं. रविवार को उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया. इसके बाद राज्यपाल विद्यासागर राव ने पनीरसेल्वम को देर रात सीएम पद की शपथ दिलाई. इस दौरान उनकी जेब में जयललिता की फोटो थी. पनीरसेल्वम की पहचान जयललिता के 'भक्त' के रूप में है. 65 साल के पनीरसेल्वम पहले भी दो बार मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. जानें आखिर पनीरसेल्वम किन वजहों से जयललिता के काफी करीबी और भरोसेमंद नेता माने जाते हैं.

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जेब में रखते हैं अम्मा की तस्वीर
पनीरसेल्वम अपनी जेब में भी जयललिता की तस्वीर रखते हैं. उनकी जया भक्ति अपने आप में बड़ी मिसाल है. जयललिता के जेल जाने पर सार्वजनिक मंच पर वह अपने आंसू नहीं रोक पाए थे. तमिलनाडु सरकार में पनीरसेल्वम की अच्छी पैठ मानी जाती है. विधानसभा में वह विपक्ष के नेता की भूमिका भी निभा चुके हैं. साथ ही सरकार में आने के बाद से एक साथ कई प्रमुख विभागों को संभाल चुके हैं.

जयललिता के साथ निभाई पूरी वफादारी
जयललिता के लिए पनीरसेल्वम ने दो बार राज्य की कमान संभालने का मौका पूरी वफादारी से निभाया. सीएम की कुर्सी पर काबिज होने के बावजूद पनीरसेल्वम ने जयललिता के विश्वास को बनाए रखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने जयललिता की जानकारी के बिना सरकार से जुड़ा कोई फैसला कभी नहीं लिया. सीएम की कुर्सी पर जयललिता की तस्वीर रखने से पनीरसेल्वम की तुलना भगवान राम के भाई भरत से भी होने लगी थी. अपने प्रति पनीरसेल्वम की ऐसी आस्था को देखने के बाद जयललिता का भरोसा बढ़ता गया.

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दो बार बने सीएम
पनीरसेल्वम 2 बार तमिलनाडु के सीएम रह चुके हैं. 29 सितंबर 2014 को दोबारा मुख्यमंत्री बने पनीरसेल्वम ने 22 मई 2015 तक पद संभाला. इस दौरान सीएम रहते वो कभी जयललिता की कुर्सी पर नहीं बैठे. इस साल 22 सितंबर से जयललिता के अस्पताल में भर्ती होने के बाद से पनीरसेल्वम ही पार्टी और सरकार का कामकाज देख रहे हैं. पनीरसेल्वम के निर्देश के बाद कैबिनेट बैठक में जयललिता की तस्वीर रखी जाती है और जरूरी फैसले लिए जाते हैं.

एआईएडीएमके में अच्छी पैठ
पनीरसेल्वम थेवर समुदाय से हैं. इस जाति के बीच एआईएडीएमके की अच्छी पैठ बनाने में भी उनका बड़ा योगदान माना जाता है. राजनीति में आने से पहले वह खेती करते थे. राज्य में कई जगहों पर उनकी चाय की दुकानें थी.

रविवार को आया था जयललिता को कार्डियक अरेस्ट
जयललिता को अचानक रविवार की शाम को दिल का दौरा पड़ा. विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम की निगरानी में चेन्नई के अपोलो अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. वह करीब ढाई महीने से बीमार थीं. अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर राजाजी हॉल में रखा गया है. जयललिता के निधन पर तमिलनाडु में 7 दिनों के शोक की घोषणा की गई है.

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