Advertisement

पूर्व आर्मी चीफ वीपी मलिक बोले- सर्विलांस की नाकामी से हुई थी करगिल में घुसपैठ

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए करगिल युद्ध को 26 जुलाई को 20 साल पूरे होने जा रहे हैं. लेकिन शनिवार को तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल वीपी मलिक (रिटायर्ड) ने कहा कि सर्विलांस और इंटेलिजेंस की नाकामी के कारण करगिल में 20 साल पहले घुसपैठ हुई.

पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और सेना के जवान पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और सेना के जवान
अभि‍षेक भल्ला
  • नई दिल्ली,
  • 13 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 5:40 PM IST

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए करगिल युद्ध को 26 जुलाई को 20 साल पूरे होने जा रहे हैं. लेकिन शनिवार को तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल वीपी मलिक (रिटायर्ड) ने कहा कि सर्विलांस और इंटेलिजेंस की नाकामी के कारण करगिल में 20 साल पहले घुसपैठ हुई. उन्होंने यह भी बताया कि 1999 में भारतीय सेना के सामने क्या-क्या चुनौतियां थीं. करगिल युद्ध की जीत के 20 साल पूरे होने पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें मौजूदा आर्मी चीफ बिपिन रावत के अलावा कई और रिटायर्ड सैन्य अफसर शरीक हुए.

Advertisement

आर्मी चीफ बिपिन रावत ने कहा, उस युद्ध से लिए गए सबक के बाद भारतीय सुरक्षाबलों की दुश्मनों को खोज निकालने की काबिलियत और बेहतर हुई है. ऐसा सिर्फ करगिल में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान और चीन से लगे सीमावर्ती इलाकों में हुआ है.

कार्यक्रम से इतर जनरल बिपिन रावत ने कहा, हमने अपनी काबिलियत को और बेहतर किया है ताकि ऐसी घुसपैठ दोबारा न हों. आज निगरानी के लिए हमारे पास यूएवी, वायुसेना के उपकरण और क्वॉड कॉप्टर्स हैं.' जनरल रावत से पहले तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल मलिक ने करगिल युद्ध के वक्त अपने अनुभव साझा करते हुए खामियां और जमीनी हकीकत के बारे में बताया.

उन्होंने कहा, 'हमारे पास निगरानी उपकरणों की कमी थी. इतना ही नहीं हेलिकॉप्टर्स भी दुश्मन के ठिकानों का पता लगा पाने के लायक नहीं थे. हम पेट्रोलिंग पार्टी पर ही निर्भर थे.' उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह इंटेलिजेंस की नाकामी थी और तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार का लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) पार नहीं करने के आदेश के बाद चुनौती और बढ़ गई.

Advertisement

जनरल मलिक ने कहा, 'मैंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से कहा था कि इस बारे में (एलओसी पार न करने) सार्वजनिक तौर पर न बोलें. साथ ही यह भी साफ किया था कि इस मामले में हम अपने टारगेट हासिल नहीं कर पाएंगे. तब हमारे पास लाइन ऑफ कंट्रोल पार करने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा.'

जनरल मलिक ने कहा कि साउथ ब्लॉक में मैंने कई बार 'मुरझाए हुए चेहरे' देखे. लेकिन अग्रिम चौकियों पर ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा, 'जब मैं साउथ ब्लॉक में था तो मेरा मनोबल ऊंचा नहीं था. लेकिन जब मैं अग्रिम इलाकों में सुरक्षाबलों से मिला तो मेरा मनोबल बहुत बढ़ गया.'

ये थीं चुनौतियां

जमीन पर चुनौतियों को लेकर जनरल मलिक ने कहा, शुरुआत में इसकी कोई समीक्षा नहीं हुई कि पाकिस्तानी सेना क्या कर रही है और हर कोई यही सोचता रहा कि ऊंची चोटियों पर मुजाहिद्दीन या आतंकवादी हैं. युद्ध के मैदान में सेना ने भी आतंकियों से लड़ने वाली रणनीति अपनाई.

इस वजह से शुरुआत में हमारे काफी जवान शहीद हुए. उन्होंने यह भी कहा कि तब हथियारों, उपकरणों की काफी कमी थी, खासतौर पर ऊंचाई पर पहने जाने वाले कपड़ों की. उन्होंने आगे कहा, 'लेकिन राजनीतिक, सैन्य और कूटनीतिक नेतृत्व के कारण हम सब इन चुनौतियों से पार पाने में कामयाब रहे. हम लोग दिन में 2-3 बार मिलते थे.'

Advertisement

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement