
राम मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नई तारीख मिलने पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला ने इस मसले पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि इस मसले को बातचीत से सुलझा लेना चाहिए था, कोर्ट तक जाना ही नहीं चाहिए था. फारुक अब्दुल्ला बोले कि भगवान राम सभी के हैं, कानून बनाकर राम मंदिर बनाना ठीक नहीं है. दूसरी ओर, शिवसेना सांसद संजय राउत का मानना है कि मामले पर सुनवाई अहम है लेकिन कोर्ट की सुनवाई से मंदिर नहीं बनेगा.
फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि राम सबके भगवान हैं, जिस दिन समाधान हो जाएगा मैं खुद वहां ईंट लगाने जाऊंगा. फारुक अब्दुल्ला के अलावा भी कई नेताओं ने प्रतिक्रियाएं दी हैं. अब्दुल्ला बोले कि भगवान राम से किसी को बैर नहीं होना चाहिए.
गौरतलब है कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर नई बेंच का गठन करने को कहा है मामले की अगली सुनवाई अब 10 जनवरी को होगी.
सुनवाई टलने से गिरीराज सिंह निराश
सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मुद्दे की सुनवाई टलने पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने निराशा जताते हुए कहा कि देश को 4 जनवरी का इंतजार था, इसी इंतजार में समय टल गया. आज भी वही हुआ और सुनवाई 10 जनवरी के लिए टल गई. देश के बहुसंख्यक जनता जनता चाहती थी कि इस पर लगातार सुनवाई हो क्योंकि यह एक असाधारण मुद्दा नहीं है. यह भारत की अस्मिता का मुद्दा था, लेकिन सुनवाई टलने से दुख हुआ.
प्रधानमंत्री के मंदिर को लेकर दिए बयान पर गिरिराज सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री एक न्यायिक सैविधानिक एक सत्ता के उच्च स्तर पर बैठे हैं. उन्होंने संवैधानिक और कानूनी के सम्मत की बात कही. शिवसेना के अध्यादेश की मांग पर गिरिराज सिंह ने कहा कि यह सत्ता की लड़ाई नहीं है.
शिवसेना बोली- अध्यादेश लाए सरकार
शिवसेना सांसद संजय राउत का कहना है कि इस मामले पर सुनवाई अहम है लेकिन सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से मंदिर नहीं बनेगा. उन्होंने कहा कि तारीख पर तारीख आएगी, सुनवाई भी होगी. लेकिन हमारी मांग अभी भी वही है कि अध्यादेश निकाल ही राम मंदिर बनाया जाए. संजय राउत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में तो पिछले 25 साल से मामला पड़ा है, फिर हमने खून क्यों बहाया. बाबरी के बाद मुंबई ब्लास्ट हुआ जिसमें कई लोग मारे गए. उन्होंने कहा कि न्यायालय में कई मुद्दे आते-जाते हैं.
शिवसेना सांसद ने सबरीमाला मुद्दे का भी उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि उसपर जो फैसला आया अमित शाह मानने को तैयार नहीं हैं. इसलिए हम भी चाहते हैं कि राम मंदिर पर अध्यादेश लाया जाए.
कांग्रेस बोली- जो कोर्ट कहेगा वही मानेंगे
शिवसेना के अलावा कांग्रेस ने भी राम मंदिर के मसले पर प्रतिक्रिया दी. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राम मंदिर का मसला सुप्रीम कोर्ट में है, जो भी सुप्रीम कोर्ट फैसला करेगा हमें वो मंजूर होगा.
इकबाल अंसारी बोले- नहीं आना चाहिए अध्यादेश
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नई तारीख दिए जाने के बाद बाबरी केस के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि राम मंदिर पर केंद्र सरकार को अध्यादेश नहीं लाना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल्कुल सही कहा है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है और हमें फैसले का इंतजार करना चाहिए.
VHP बोली- टाली जा रही सुनवाई
विश्व हिंदू परिषद के प्रमुख आलोक कुमार का कहना है कि मुझे डर है राम मंदिर मामले की प्रक्रिया को टाला जा रहा है. मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट जल्द ही इस मामले के लिए नई बेंच का गठन करें और जल्द ही सुनवाई शुरू हो. नई बेंच का गठन 29 अक्टूबर को ही हो जाना चाहिए था.