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वित्त मंत्री अरुण जेटली बोले- टैक्स देना देशभक्ति का काम

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि भारत को विकसित और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनाने की प्रक्रिया चालू कर दी गई है. जेटली ने कर भुगतान को देशभक्ति का काम बताते हुए कहा कि आप ऐसी अर्थव्यवस्था के साथ नहीं चल सकते, जहां काले धन की अर्थव्यवस्था दृष्टिगत अर्थव्यवस्था से बड़ी हो.

वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो) वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो)
राहुल विश्वकर्मा
  • मुंबई,
  • 29 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 12:27 AM IST

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि भारत को विकसित और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनाने की प्रक्रिया चालू कर दी गई है. जेटली ने कर भुगतान को देशभक्ति का काम बताते हुए कहा कि आप ऐसी अर्थव्यवस्था के साथ नहीं चल सकते, जहां काले धन की अर्थव्यवस्था दृष्टिगत अर्थव्यवस्था से बड़ी हो.

अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने का काम शुरू

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मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में नोटबंदी और जीएसटी का नाम लिए बगैर कहा कि अर्थव्यवस्था को और बेहतर बनाने का काम शुरू हो चुका है. सरकार इसके लिए कदम दर कदम आगे बढ़ रही है. इसके कुछ परिणाम दिखने भी लगे हैं. कराधार बढ़ा है, डिजिटल भुगतान में उछाल आया है, अर्थव्यवस्था में नकदी का चलन सीमित हो रहा है.

टैक्स देना देशभक्ति का काम

उन्होंने स्वीकार किया कि जीएसटी जैसे सुधारों को लागू करने पर कुछ शोर और शिकायतें जरूर होंगी पर कर का भुगतान करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि करों का भुगतान हर नागरिक का मौलिक कर्तव्य है. इस (कर) व्यवस्था से बचने के बजाए इसका हिस्सा बनाना देशभक्ति का काम है. तभी इसके अनुपालन का बड़ा और दीर्घकालिक प्रभाव सामने आएगा.

बुनियादी सुधारों की राह लंबी

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जेटली ने कहा कि बुनियादी सुधारों की राह लंबी है. सरकार ने अभी प्रत्यक्ष विदेश निवेश (एफडीआई) बढ़ाने जैसे कुछ कदम बढ़ाए हैं जो आसान थे. उन्होंने दिवाला कानून को विलंब से उठाया गया कदम बताया और कहा कि अब इसके फल मिलेंगे. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बैंकों के मामले में बहुत पारदर्शी है और यह चाहती है कि ऐसी प्रणाली हो जिससे बैंकिंग व्यवस्था की सच्ची तस्वीर सामने आ सके.

पहले बैंकों को जमकर कर्ज दिए गए

उन्होंने कहा कि पहले हमारे बैंकों ने खूब जमकर कर्ज दिए और जब इस तरह कर्ज दिए जा रहे थे तो हम साथ-साथ पुराने कर्जों को नया कर्ज बनाने के लिए पुनर्गठन करते जा रहे थे. 2015 तक किसी को नहीं पता था कि बैंकों में क्या हो रहा है. वास्तविकता पर पर्दा पड़ा हुआ था. जेटली ने कहा कि ऋण के मुख्य स्त्रोत (बैंकों में) ऐसी दबे-छुपे काम के साथ कोई अर्थव्यवस्था वास्तव में चल नहीं सकती है.

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