
सरकार के गोदामों में पड़े 18 लाख टन दाल के स्टॉक को खपाने के लिए अब मिड डे मील में पहली बार दाल भी शामिल किया जाएगा. सरकार की दूसरी योजनाओं में भी दाल को खर्च किया जाएगा.
शुक्रवार को कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स में फैसला किया कि सरकारी गोदामों में पड़े हुए दाल की खपत करने के लिए सरकार के अलग-अलग विभाग अपने नियमों और निर्देशों में बदलाव करेंगे जहां भी हो सकेगा दाल का उपयोग करेंगे. इसमें मिड डे मील के अलावा सरकारी अस्पतालों और उन सभी विभागों और एजेंसियों में दाल की खपत की जाएगी जो खाने पीने से जुड़े हुए हैं. इसके अलावा सरकार बफर स्टॉक में पड़े दाल को खुले बाजार में भी बेचेगी. राज्यों को भी बाज़ार से कम कीमत में दाल मुहैया कराया जाएगी .
खान-पान से संबंधित सभी मंत्रालयों को कहा गया है कि वह अपने 3 महीने के भीतर कितनी दाल की खपत कर सकते हैं इसके बारे में रिपोर्ट बनाकर खाद्य मंत्रालय को सौंप दें.
दरअसल दाल की भारी-भरकम स्टॉक को खपाना सरकार के लिए नई मुसीबत बन गया है. ऐसा पहली बार हुआ है जब दाल की किल्लत के बजाए दाल का ज्यादा स्टॉक सरकार के लिए मुसीबत का कारण बन गया है. हुआ असल में यह कि पिछले साल जब दाल की कीमतें 200 रुपये प्रति किलो के करीब पहुंच गई थी तब इसको लेकर काफी बवाल मचा था और सरकार को दाल की कीमत को कम करने के लिए दुनिया भर से दाल आयात करना पड़ा. पिछले साल से सबक लेकर सरकार ने फैसला किया था कि 2000000 टन दाल का बफर स्टॉक बनाया जाए ताकि बाजार में अगर दाल की कीमतें ज्यादा बढ़े, तो सरकारी गोदाम का दाल बाजार में उतार कर की दाल की कीमत पर लगाम लगाई जा सके. दाल का बफर स्टॉक तो बन गया लेकिन इस साल कुछ ऐसा हुआ जो इससे पहले कभी नहीं हुआ था. देश में दाल की रिकॉर्ड तोड़ पैदावार हुई क्योंकि पिछले साल की बढ़ी हुई कीमतों को देखते हुए किसानों ने दाल की बुवाई बडे पैमाने पर की थी. नतीजा ये हुआ कि दाल की कीमतें गिर कर 60- 70 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई और अब हंगामा इस बात पर मच गया कि किसानों को दाल की उचित कीमत नहीं मिल पा रही है.
ऐसे में सरकार अगर बफर स्टॉक का दाल बाजार में उतारती तो कीमतें और भी नीचे चली जाती. दाल को बहुत ज्यादा दिनों तक स्टाॅक नहीं किया जा सकता क्योंकि वह खराब होने लगता है. इसीलिए दाल के 1800000 टन के भारी भरकम स्टॉक को खपाना खाद्य मंत्रालय के लिए बड़ा सिरदर्द बन गया. शुक्रवार के कैबिनेट के फैसले के बाद खाद्य मंत्रालय को उम्मीद है कि उसके बफर स्टॉक का काफी दाल खर्च हो सकेगा.