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मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में सबसे बड़े संकटमोचक थे अरुण जेटली

मोदी सरकार से पहले अरुण जेटली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने. तब उन्हें उद्योग-वाणिज्य और कानून मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था. लेकिन मोदी राज में कई बार मुश्किल में आई सरकार के लिए संकटमोचक बनकर सामने आए और सरकार को मुश्किलों से बाहर निकाला.

अरुण जेटली (फाइल फोटो) अरुण जेटली (फाइल फोटो)
aajtak.in/सुरेंद्र कुमार वर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 1:48 PM IST

  • 9 अगस्त से एम्स में भर्ती थे जेटली
  • सेहत के चलते चुनाव से दूर रहे थे

बीजेपी नेता अरुण जेटली ने आज दोपहर 12.07 बजे एम्स में आखिरी सांस ली. गंभीर बीमारी से जूझ रहे जेटली 9 अगस्त से एम्स में ही भर्ती थे. नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के सबसे बड़े संकटमोचक अरुण जेटली स्वास्थ्य कारणों से इस बार चुनाव से न सिर्फ दूर रहे बल्कि सरकार में किसी भी तरह का कोई पद नहीं लिया. हालांकि बीमारी के बावजूद वह लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान सक्रिय रहे. सोशल मीडिया के जरिए विपक्ष पर लगातार हमला करते रहे.

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(अरुण जेटली का निधन, पढ़ें हर अपडेट)

नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में अरुण जेटली वित्त मंत्री रहे. इस दौरान उन्होंने रक्षा मंत्रालय का कार्यभार भी अस्थाई रूप से संभाला. यह अलग बात है कि जेटली अमृतसर से लोकसभा चुनाव हार गए थे, लेकिन उनकी योग्यता को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उनकी छवि दूसरे नंबर के नेता के तौर पर थी.

मोदी सरकार से पहले अरुण जेटली अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने. तब उन्हें उद्योग-वाणिज्य और कानून मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया था. लेकिन मोदी राज में कई बार मुश्किल में आई सरकार के लिए संकटमोचक बनकर सामने आए और सरकार को मुश्किलों से बाहर निकाला.

नोटबंदी और जीएसटी लाने वाले

2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में प्रचंड जीत के साथ सत्ता में लौटी बीजेपी की अगुवाई वाली मोदी सरकार में जेटली को वित्त और रक्षा मंत्रालय सौंपा गया. इसके अलावा, उन्हें कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्री का जिम्मा भी दिया गया.

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अरुण जेटली के वित्त मंत्री रहने के दौरान मोदी सरकार ने 8 नवंबर, 2016 को देश में नोटबंदी की घोषणा की. कालेधन पर अंकुश लगाने के लिए 500-1000 के नोट को चलन से बाहर कर दिया. इन्हीं के कार्यकाल में जीएसटी भी लागू किया गया. माना जाता है कि वित्त मंत्री के तौर पर जेटली ने नोटबंदी और जीएसटी जैसे मोदी सरकार के फैसलों में अहम भूमिका निभाई.

बहरहाल, 29 मई, 2019 को अरुण जेटली ने मोदी को पत्र लिखकर बीमारी के कारण अगले चुनाव से दूर रखने की गुजारिश की. वह किडनी संबंधी बीमारी से ग्रसित थे. पिछले साल 14 मई को एम्स में उनका ऑपरेशन भी किया गया था. जनवरी 2019 में जांच के दौरान पता चला कि जेटली को सॉफ्ट टिश्यू सारकोमा की बीमारी है. इसका इलाज उन्होंने न्यूयॉर्क जाकर कराया. इस बीमारी से तो ठीक हो गए, लेकिन उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आती रही. वे लगातार इलाज करा रहे थे. 

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