
पूर्व सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच समिति की उस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की हिमायत की है, जिसमें शीर्ष न्यायालय की एक पूर्व महिला कर्मचारी द्वारा चीफ जस्टिस के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के निष्कर्ष हैं. उन्होंने कहा कि जांच के निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं करने का ‘कोई कारण या कानूनी आधार’ नहीं लगता है.
श्रीधर आचार्युलू कहा कि इस देश के लोगों को पता चलना चाहिए कि तीन न्यायाधीशों वाली सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच समिति ने यह कहकर पूर्व महिला कर्मचारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों से चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को क्लीन चिट दे दी है कि उन्हें शिकायत में कोई दम नहीं नजर आया. आचार्युलू ने कहा कि सीजेआई और अन्य विशिष्ट जनों के मुताबिक इन आरोपों के पीछे ‘बड़ी साजिश’ है.
आचार्युलू ने कहा कि जनहित में लोगों को जानने का अधिकार है और अगर लगता है कि खासकर यौन उत्पीड़न की शिकायतों के विवरण सार्वजनिक नहीं किए जा सकते तो संपादित कर रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए.
इससे पहले वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने इस पूरे मामले में बड़ा घोटाला होने का अंदेशा जताया था. उन्होंने कमेटी की रिपोर्ट को जनहित में सार्वजनिक करने की मांग की है.
इधर सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल के कार्यालय से जारी नोटिस के मुताबिक, जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाएगी. इस कमेटी में दो महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी भी शामिल थीं.