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अब नहीं बचेंगे नीरव मोदी-माल्या जैसे आर्थिक अपराधी, पास हुआ बिल

पीयूष गोयल ने कहा कि अध्यादेश लाने का मकसद यह संदेश देना था कि सरकार सख्त है और कालेधन पर प्रहार हो रहा है. उन्होंने कहा कि इस कानून में यह प्रावधान किया गया है कि आर्थिक अपराध करने वाले भगोड़ों की देश के भीतर और बाहर सभी बेनामी संपत्तियां जब्त की जाएंगी.

नीरव मोदी-विजय माल्या (फाइल फोटो) नीरव मोदी-विजय माल्या (फाइल फोटो)
अनुग्रह मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 7:28 PM IST

नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे भगोड़े आर्थिक अपराधियों को भारत की कानून प्रक्रिया से बचने से रोकने, उनकी संपत्ति जब्त करने और उन्हें सजा देने के प्रावधान वाले भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 गुरुवार को लोकसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया. यह विधेयक भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश 2018 के स्थान पर लाया गया है.

विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह एक सुलझा हुआ विधेयक है और इसे सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर लाया गया है. उन्होंने कहा कि बजट सत्र को विपक्षी दलों ने चलने नहीं दिया जिस वजह से उस समय यह विधेयक नहीं लाया जा सका.

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निर्दोष नहीं होंगे शिकार

पीयूष गोयल ने कहा कि अध्यादेश लाने का मकसद यह संदेश देना था कि सरकार सख्त है और कालेधन पर प्रहार हो रहा है. उन्होंने कहा कि इस कानून में यह प्रावधान किया गया है कि आर्थिक अपराध करने वाले भगोड़ों की देश के भीतर और बाहर सभी बेनामी संपत्तियां जब्त की जाएंगी. गोयल ने कुछ सदस्यों की इस चिंता को खारिज किया कि कानून के प्रावधानों की वजह से निर्दोष लोग भी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं.

वित्त मंत्री गोयल ने कहा कि यह कानून भगोड़ों के लिए है और अगर कोई व्यक्ति निर्दोष है तो उसे भागने की क्या जरुरत है और उसे तो खुद को कानून के हवाले करना चाहिए. यह विधेयक भगोड़े आर्थिक अपराधियों को भारतीय न्यायालयों की अधिकारिता से बाहर रहते हुए भारत में विधि की प्रक्रिया से बचने से रोकने के लिये, भारत में विधि के शासन की पवित्रता की रक्षा के उपाय करने का प्रवधान करता है.

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बता दें कि है कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे कारोबारियों के बैंकों से हजारों करोड़ रुपये का कर्ज लेने के बाद देश से फरार होने की पृष्ठभूमि में यह विधेयक लाया गया है. विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि आर्थिक अपराधी दंडात्मक कार्यवाही शुरू होने की संभावना में या कभी कभी ऐसी कार्यवाहियों के लंबित रहने के दौरान भारतीय न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से पलायन कर जाते हैं. भारतीय न्यायालयों से ऐसे अपराधियों की अनुपस्थिति के कारण अनेक हानिकारक परिणाम हुए हैं.

बैंकों को हुआ नुकसान

इससे दंडात्मक मामलों में जांच में बाधा उत्पन्न होती है और अदालतों का कीमती समय खराब होता है. आर्थिक अपराधों के ऐसे अधिकांश मामलों में बैंक कर्ज से संबंधित मामलों के कारण भारत में बैंकिंग क्षेत्र की वित्तीय स्थिति और खराब होती है. इसमें कहा गया है कि वर्तमान सिविल एवं न्यायिक उपबंध इस समस्या की गंभीरता से निपटने के लिये सम्पूर्ण रूप से पर्याप्त नहीं है.

इस समस्या का समाधान करने के लिये और भारतीय न्यायालयों की अधिकारिता से बाहर बने रहने के माध्यम से भारतीय कानून प्रक्रिया से बचने से आर्थिक अपराधियों को हतोत्साहित करने के उपाय के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 लाया गया है. इसमें कहा गया है कि भगोड़ा आर्थिक अपराधी ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अनुसूचित अपराध किया है और ऐसे अपराध किये हैं जिनमें 100 करोड़ रूपये या उससे अधिक की रकम सम्मिलित है.

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कुर्क होगी संपत्ति

बिल में ऐसे अपराधी शामिल हैं जो भारत से फरार हैं या भारत में दंडात्मक अभियोजन से बचने या उसका सामना करने के लिये भारत आने से इंकार करते हैं. इसमें भगोड़ा आर्थिक अपराधी की सम्पत्ति की कुर्की का उपबंध किया गया है. इसमें कहा गया है कि किसी भी भगोड़े आर्थिक अपराधी को कोई सिविल दावा करने या बचाव करने की हकदारी नहीं होगी. ऐसे मामलों में विशेष न्यायालयों द्वारा जारी आदेशों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करने की बात कही गई है.

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने 2018- 19 का बजट पेश करते हुये कहा था कि सरकार भगोड़े आर्थिक अपराधियों की संपत्ति जब्त करने के लिये एक नया कानून लाने पर विचार कर रही है. विधेयक को 12 मार्च को ही लोकसभा में पेश कर दिया गया था लेकिन संसद में गतिरोध के चलते इसे पारित नहीं कराया जा सका था. फिर सरकार इसके लिए अध्यादेश लेकर आई थी.

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