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चीनी सोशल मीडिया पर गलवान के सैटेलाइट तस्वीरों का गलत विश्लेषण, भ्रम फैलाने की कोशिश

जब पेशेवर दक्षता और बारीकियों पर गौर करने के साथ इन्हीं तस्वीरों का विश्लेषण किया गया तो पाया गया कि चीन ने अपने सैनिकों को 800 मीटर तक पीछे हटाया है और उसके पीछे का क्षेत्र बादलों से घिरा नजर आता है.

लेह में LAC की ओर जाता एक ट्रक (फोटो- पीटीआई) लेह में LAC की ओर जाता एक ट्रक (फोटो- पीटीआई)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 14 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 4:59 PM IST

  • चीनी सोशल मीडिया पर सैटेलाइट तस्वीरों का गलत विश्लेषण
  • सैटेलाइट तस्वीरों के सही विश्लेषण ने खोली गलत दावों की पोल
17 साल पहले तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री कॉलिन पॉवेल ने सैटेलाइट तस्वीरों का सहारा इस थ्योरी को बढ़ाने में किया कि इराक के पास बड़े पैमाने पर तबाही के हथियार मौजूद थे.

दो साल बाद, अमेरिका की खुफिया क्षमताओं से जुड़े आयोग ने बताया कि अमेरिकी आक्रमण से पहले इराक की हथियारों की क्षमताओं पर खुफिया समुदाय ने जो आकलन किया था, वो पूरी तरह गलत था. लेकिन तबतक एक युद्ध छिड़ चुका था जिसका नतीजा जान-माल के भारी नुकसान के रूप में में सामने आया.

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गलवान तस्वीरों का गलत विश्लेषण

पिछले हफ्ते, गलवान क्षेत्र की सैटेलाइट तस्वीरों का एक गलत विश्लेषण, चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हुआ. चीन के Gaofen-3 सैटेलाइट से संभवत: 9 जुलाई को ली गई चुनींदा तस्वीरों में संघर्ष की जगह के चीनी दिशा के 900 मीटर और भारतीय दिशा के 1,500 मीटर क्षेत्र को कवर किया गया.

लेकिन वेइबो सहित चीनी प्लेटफार्म्स पर इन तस्वीरों के इर्दगिर्द जो कहानी बुनी गई है वो खतरनाक तरीके से गलत है.

इस तथाकथित विश्लेषण का दावा है कि हालांकि चीन ने अपने सैनिकों को 800 मीटर से अधिक पीछे हटा लिया है लेकिन भारत अपनी ओर से समझौते का पालन नहीं कर रहा है और संघर्ष बिंदु से 500 मीटर की दूरी भारत के लगभग 10 टेंट हैं.

इस तरह के दावे सैटेलाइट कंटेंट की गलत व्याख्या से निकाले जा रहे हैं. ऐसा कंटेंट जो सब-मीटर या हाई-रिजोल्यूशन नहीं है.

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सही आकलन के लिए टिप्स

सैटेलाइट तस्वीरों की तथ्यात्मक सही व्याख्या के लिए NASA के सुझाए 5 टिप्स हैं-

1. स्केल पर गौर करो

2. पैटर्न, आकार और बनावट की तलाश करें

3. रंगों को परिभाषित करें (परछाई सहित)

4. उत्तर दिशा को देखें

5. अपने पूर्व ज्ञान की मदद लें

इनके मुताबिक "शायद एक सैटेलाइट तस्वीर की व्याख्या करने के लिए सबसे शक्तिशाली औजार उस जगह की अच्छी तरह जानकारी होना है. यदि आप जानते हैं कि पिछले साल जंगल के किसी हिस्से में आग लगी थी तो वहां देखे जाना वाला भूरा पैच बहुत संभव जलने का निशान है, न कि किसी ज्वालामुखी फटने का या किसी परछाई का.”

गलवान की तस्वीर के तथाकथित चीनी विश्लेषक या विश्लेषकों ने जमीन पर सफेद चमकने वाली तस्वीरों को भारतीय मिलिट्री टेंट्स बताया. हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं था.

चीन के सैटेलाइट ने असल में क्या दिखाया?

जब पेशेवर दक्षता और बारीकियों पर गौर करने के साथ इन्हीं तस्वीरों का विश्लेषण किया गया तो पाया गया कि चीन ने अपने सैनिकों को 800 मीटर तक पीछे हटाया है और उसके पीछे का क्षेत्र बादलों से घिरा नजर आता है.

भारतीय पक्ष की ओर, सैटेलाइट तस्वीर फिर से स्पष्ट रूप से 1,400 मीटर की दूरी पर 10 छोटे टेंट दिखाती है. संघर्ष वाली जगह से भारतीय चौकी तक 1,400 मीटर तक की सड़क पूरी तरह खाली है.

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सैटेलाइट तस्वीरों की एक गलत व्याख्या एक बड़ी तस्वीर को नजरअंदाज करती है. इसके नतीजे विनाशकारी हो सकते हैं, खासकर अगर सैन्य तनाव अधिक हो.

ये कहना मुश्किल है कि चीनी सोशल मीडिया पर गलवान तस्वीरों की गलत व्याख्या अज्ञानतावश की गई है या इसके पीछे कोई बड़ी दुर्भावना है.

(कर्नल विनायक भट (रिटायर्ड) इंडिया टुडे के लिए एक कंसल्टेंट हैं. वे सैटेलाइट तस्वीरों के विश्लेषक हैं. उन्होंने 33 वर्ष भारतीय सेना में सेवा की)

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