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स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने आधिकरिक ट्विटर हैंडल पर अवसाद (डिप्रेशन) को मन की थोड़ी निराशा वाली दशा बताने संबंधी पोस्ट की तो उसे ट्विटर यूजर ने ट्रोल कर दिया. मंत्रालय ने इस बारे में एक डिजिटल पोस्टर ट्वीट किया, जो ट्विटर यूजर्स को रास नहीं आया.
कुछ ट्विटर यूजर्स ने स्वास्थ्य मंत्रालय की इस परिभाषा को बिल्कुल गलत बताया है, जबकि कुछ का मानना है कि यह विषय को हल्का करने जैसा है.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आधिकारिक ट्विटर पर 25 जून को ट्वीट किया गया था जिसमें लिखा था, अवसाद मन के थोड़ा निराश होने की दशा है जो व्यक्ति के विचार, व्यवहार और अच्छा होने की भावना और संवेदना को प्रभावित करती है. व्यक्ति को कुछ ऐसे काम करने चाहिए जिनसे अवसाद से निपटने में उसका मनोबल ऊंचा हो.
मंत्रालय ने एक पोस्टर भी डाला है और बताया कि ऐसे में व्यक्ति को फल खाने, स्वच्छ रहने, टहलने, योगाभ्यास, बहुविटामिन का सेवन, यात्रा करने और सकारात्मक सोचने जैसे काम करना चाहिए.
लेकिन इस पोस्ट पर फॉलोअर्स ने तीखी टिप्पणियां की हैं. एक मनोचिकित्सक ने लिखा है, यह ट्वीट अवसाद को हल्के में लेता है और यह अनुभव करने को कहता है कि यह कोई बीमारी नहीं है. यह अवसाद की बिल्कुल गलत व्याख्या है.
यूजर्स ने ट्वीट में इस बात का जिक्र नहीं होने पर उसकी आलोचना की है कि व्यक्ति को अवसाद के उपचार के लिए इलाज करना चाहिए या डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए.
एक ट्विटर यूजर ने लिखा है कि अवसाद से ग्रस्त व्यक्ति सकारात्मक ढंग से नहीं सोच सकता, यह अवसाद की परिभाषा है. लेकिन उसे सकारात्मक सोचने के लिए कहना, ऐसा ही है कि मोतियाबिंद वाले व्यक्ति से कहा जाए कि आंखें खुली रखे और स्पष्ट देखे.
एक अन्य यूजर सुधीर कोठारी ने कहा कि अवसाद वाकई एक रुग्णता है और उसका इलाज उपलब्ध है. इलाज नहीं होने पर कई बार रोगी आत्महत्या भी कर लेता है. यह कोई चारित्रिक त्रुटि नहीं है.
डब्ल्यूएचओ के अनुसार अवसाद आम मानसिक रुग्णता है, जिसमें व्यक्ति लगातार उदास रहता है और वह आम तौर पर उन कामों को नहीं करता है जिसमें उसे खुशी मिलती है और रोजमर्रा का भी काम नहीं करता है.