
सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने के संबंध में सोमवार शाम को अधिसूचना जारी कर दी गई. इसके साथ ही सरकारी नौकरियों और शिक्षा में सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का संवैधानिक प्रावधान सोमवार से प्रभाव में आ गया.
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की राजपत्रित अधिसूचना के अनुसार, ‘संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019 की धारा 1 की उपधारा (2) के तहत प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार 14 जनवरी को उस तारीख के रूप में चिह्नित करती है जिस दिन कथित कानून के प्रावधान प्रभाव में आएंगे.’
संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन के साथ ही एक उपबंध जोड़ा गया है. इसके जरिए राज्यों को आर्थिक रूप से कमजोर किसी भी वर्ग के नागरिकों के उत्थान के लिए विशेष प्रावधान बनाने का अधिकार देता है.
गौरतलब है कि सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसले पर 7 जनवरी को मोदी सरकार ने हरी झंडी दिखाई थी. अगले ही दिन यानि 8 जनवरी लोकसभा में संविधान का 124वां संशोधन विधेयक 2019 पेश किया गया. लोकसभा में बिल पर मैराथन बहस चली. रात 10 बजे के करीब इस बिल को लोकसभा में मंजूरी दी गई. बिल के पक्ष में 323 और विपक्ष में महज 3 वोट पड़े.
इसके अगले दिन 9 जनवरी को इस बिल पर राज्यसभा में बहस चली. ये बहस भी देर रात तक होती रही. राज्यसभा में भी ये बिल 165 मतों के साथ पास हो गया. राज्यसभा में 7 सदस्यों ने बिल का विरोध किया था. दोनों सदनों से ये बिल रिकॉर्ड 48 घंटों में पास हो गया.
इसके बाद इस संशोधित बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास अंतिम मंजूरी के लिए भेजा गया. राष्ट्रपति ने भी इस बिल पर 12 जनवरी को अपनी मुहर लगा दी.
अब 14 जनवरी को सरकार ने इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी है. इसके साथ ही अब 10 फीसदी का आरक्षण उन उम्मीदवारों को मिल सकेगा, जो इसके दायरे में आते हैं. सरकार ने आरक्षण का दायरा भी तय कर दिया है. इसके तहत इसमें सिर्फ वे ही लोग आ सकेंगे जिनकी सालाना कमाई 8 लाख रुपये से ज्यादा नहीं हो, उनके पास 5 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि न हो, 1000 स्क्वायर फीट से बड़ा घर न हो, अधिसूचित जमीन 100 गज से कम हो.
सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने वाला गुजरात देश का पहला राज्य बन गया है. रविवार को ही गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने 10 फीसदी आरक्षण देने का ऐलान कर दिया. गुजरात में यह आरक्षण 14 जनवरी से ही लागू हो गया है.
चुनावी साल में सामान्य वर्ग में 10 फीसदी आरक्षण को मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक कहा जा रहा है. विपक्ष ने भी 10 फीसदी आरक्षण पर सहमति तो जताई लेकिन 2019 के चुनाव से ठीक पहले ये ऐलान करने पर आपत्ति जता चुका है.