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इन 4 प्वाइंट में समझिए GDP में आई गिरावट का नोटबंदी कनेक्शन!

अगर हम जीडीपी की वृद्धि दर की तुलना एक साल पहले की समान तिमाही से करें तो इसमें काफी अधिक गिरावट दर्ज की गई है. वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही के दौरान जीडीपी की रफ्तार 7.9 फीसदी थी.

जीडीपी पर नोटबंदी का असर जीडीपी पर नोटबंदी का असर
नंदलाल शर्मा
  • नई दिल्ली ,
  • 31 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 9:25 PM IST

अर्थव्यवस्था को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार तमाम बड़े दावे करती रही है. लेकिन, आंकड़े कुछ और ही कहानी बयान करते हैं. नोटबंदी और जीएसटी के बाद जीडीपी का गिरना लगातार जारी है. हालांकि सरकार कह रही है कि जीडीपी के गिरने का नोटबंदी से कोई लेना देना है. इसको नोटबंदी से जोड़ना सही नहीं होगा. सीएसओ के आनंद कुमार ने कहा है कि जीडीपी में गिरावट आने की मुख्य वजह ये है कि सर्विस सेक्टर ने अच्छा परफॉर्म किया है, और मैन्युफैक्चरिंग में गिरावट में आई है.

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इससे साफ है कि नोटबंदी के चलते मैन्युफैक्चरिंग में गिरावट आई और जीडीपी का आंकड़ा धड़ाम हो गया. जीडीपी के गिरने को इन 4 प्वाइंट में समझें -

वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में जीडीपी धड़ाम

चालू वित्त वर्ष की जून में खत्म हुई तिमाही के दौरान देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर में गिरावट दर्ज की गई है. जीडीपी का आंकड़ा गिरकर 5.7 फीसद पर आ गया है. वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में यह आंकड़ा 6.1 फीसदी था. आधिकारिक आंकड़ों से गुरुवार को यह जानकारी मिली.

जनवरी से मार्च के दौरान 6.1 फीसदी थी GDP

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी 5.7 फीसदी की वृद्धि दर के साथ 31.10 लाख करोड़ रुपये रही, जबकि पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के दौरान इसकी वृद्धि दर 6.1 फीसदी थी.

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पिछले साल इसी तिमाही में 7.9 फीसदी थी जीडीपी

अगर हम जीडीपी की वृद्धि दर की तुलना एक साल पहले की समान तिमाही से करें तो इसमें काफी अधिक गिरावट दर्ज की गई है. वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही के दौरान जीडीपी की रफ्तार 7.9 फीसदी थी.

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर नोटबंदी की बड़ी मार

वित्त वर्ष 2016-17 में जीडीपी का आंकड़ा 7.1 फीसदी (चारों तिमाही का जोड़) था. जीडीपी में लगातार गिरावट सरकार के लिए चिंता की बात है, हालांकि सरकार का कहना है कि नोटबंदी इसके लिए जिम्मेदार नहीं है, जबकि एक हजार और पांच सौ रुपये के नोटों के चलन से बाहर होने के बाद मांग में कमी आई और इसी का असर जीडीपी में दिख रहा है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है. सेक्टर की ग्रोथ रेट जून तिमाही में 1.2 फीसदी तक आ गिरी है, जो पिछले साल इसी तिमाही के दौरान 10.7 प्रतिशत थी.

बता दें कि केंद्र सरकार ने पुराने कर ढांचे को खत्म कर 1 जुलाई से जीएसटी लागू किया है. आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि नए कर ढांचे और जीएसटी के प्रभावों की वजह से ही जीडीपी में लगातार गिरावट आ रही है.

 

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