
मशहूर समाजवादी नेता और पूर्व केंद्रीय रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस का 88 साल की उम्र में निधन हो गया. वो पिछले लंबे समय से बीमार चल रहे थे. मजदूर यूनियन के आंदोलन के जरिए उन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी जगह बनाई थी. जार्ज फर्नांडिस आपातकाल के दौरान मछुआरे बनकर तो कभी साधु का रूप धारण कर और कभी सिख बनकर आंदोलन चलाते रहे.
जार्ज फर्नांडिस अपने परिवार के साथ ओडिशा में थे, जब उन्हें रेडियो के जरिए आपातकाल की सूचना मिली. इसके बाद वो अपने पत्नी और बच्चों से अलग होकर आपातकाल के खिलाफ आंदोलन का हिस्सा बने. फर्नांडिस कभी मछुआरा बनकर तो कभी साधु का रूप धारण कर देश में अलग-अलग हिस्सों में घूमते रहे. इतना ही नहीं उन्होंने अपने बाल और दाढ़ी इतने बढ़ा लिए और सिख बनकर आपातकाल के खिलाफ आंदोलन को धार देने लगे.
फर्नांडिस देश की तमाम सुरक्षा एजेंसियों से छिपकर अपने मिशन पर लगे रहे. इसी दौरान उन्होंने जनता के नाम एक अपील भी जारी की थी. आरोप है कि आपातकाल की घोषणा के बाद से ही जॉर्ज फर्नांडिस देश के अलग-अलग हिस्से में डायनामाइट लगाकर विस्फोट और विध्वंस करना चाहते थे.
इसके लिए ज्यादातर डायनामाइट गुजरात के बड़ौदा से आया पर दूसरे राज्यों से भी इसका इंतजाम किया गया था. इसी बाद फर्नांडिस और उनके साथियों को जून 1976 में गिरफ्तार कर लिया गया. इन सभी लोगों पर सीबीआई ने मामला दर्ज किया, जिसे बड़ौदा डायनामाइट केस कहा जाता है.
फर्नांडिस अपने शुरुआती दौर से ही जबरदस्त विद्रोही नेता के तौर पर रहे हैं. राम मनोहर लोहिया को वो अपना आदर्श मानते थे. सोशलिस्ट पार्टी और ट्रेड यूनियन आंदोलन के में फर्नांडिस बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे. वो अपने तेवर के जरिए 1950 तक वह टैक्सी ड्राइवर यूनियन के नेता बन गए थे. वह धीरे-धीरे गरीबों की आवाज बन गए थे.
इसके बाद फर्नांडिस 1973 में ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के अध्यक्ष बने. इसके बाद सरकार रेलवे के कर्मचारियों की मांग लेकर देशव्यापी हड़ताल कर रेलवे का चक्का जाम कर दिया था. इससे देश में रेलवे का संचालन पूरी तरह से ठप हो गया था.
आपातकाल के दौर में जॉर्ज फर्नांडिस को जेल में डाल दिया. इसके बाद 1977 का लोकसभा चुनाव जेल में रहते हुए ही बिहार की मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और रिकॉर्ड मतों से जीतकर संसद पहुंचे. जनता पार्टी की बनी सरकार में वो मंत्री बने. उन्होंने समता पार्टी का गठन किया, जिसका बाद में जेडीयू में विलय कर दिया गया. वो राजनीतिक जीवन में 9 बार सांसद चुने गए.