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राज्यसभा में बोले गुलाम नबी आजाद- नए भारत में आदमी एक-दूसरे के दुश्मन

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने राज्यसभा में बोलते हुए कहा कि पुराने भारत में नफरत, मॉबलिंचिंग और जनता में गुस्सा नहीं था. नए भारत में आदमी ही आदमी का दुश्मन है.

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद (फाइल फोटो) कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2019,
  • अपडेटेड 4:31 PM IST

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पुराने भारत में नफरत, मॉबलिंचिंग और जनता में गुस्सा नहीं था. नए भारत में आदमी ही आदमी का दुश्मन है.

राज्यसभा में बोलते हुए गुलाम नबी ने कहा, 'आप जंगल में सुरक्षित रह सकते हैं और लेकिन आप अपने कॉलोनी में भयभीत हो सकते हैं. हमें ऐसा भारत लौटाओ जिसमें हिंदू, मुसलमान, सिख और ईसाई एक-दूसरे के लिए जीते हों.'

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आजाद ने कहा कि हमे न्यू अमेरिका, न्यू चाइना, न्यू ब्रिटेन नहीं सुना. आधुनिक अमेरिका, चीन, हो सकता है लेकिन न्यू इंडिया नहीं हो सकता है. पुराना इंडिया कहां गया? हमको ओल्ड इंडिया दीजिए, न्यू इंडिया आप अपने पास रखिए. वो ओल्ड इंडिया जिसमें प्यार था, मोहब्बत थी. मुस्लिम और दलित के पांव में अगर कांटा चुभता था तो चुभन हिन्दू भाई को लगती थी. हिन्दू भाई की आंख में अगर घास का तिनका जाता तो आंसू मुस्लिम की आंख से निकलते थे. तब कोई लिंचिंग नहीं, कोई नफरत नहीं, कोई गुस्सा नहीं, किसी के खिलाफ कोई बुराई नहीं थी. न्यू इंडिया के कल्चर में इंसान, इंसान का दुश्मन बन गया है. आज आदमी, आदमी से डरता है जंगली जानवर से नहीं डरता है.

आजाद ने राज्यसभा में कहा कि आपकी सरकार आने के बाद फेडरलिज्म की अर्थी उठना शुरू हो गई थी. अरुणाचल से लेकर गोवा, मणिपुर में यह सब होते देखा गया है. जहां चुनी हुई सरकार को गिराने का काम किया है. बंगाल में क्या हो रहा है, विधायक भगाए जा रहे हैं, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में सरकार गिराने की कितनी कोशिशें हो रही हैं. सेंटर और स्टेट के रिश्ते में फेडरलिज्म बचा कहा हैं. ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई की तलवारें रखी जा रही हैं और कुछ काम नहीं आया तो पैसे का इस्तेमाल हो रहा है.

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भगोड़े अपराधियों का कुछ पता नहीं

तीन तलाक पर बोलते हुए आजाद ने कहा कि तीन तलाक के हम भी खिलाफ हैं लेकिन इसके पीछ धारणा खानदान को खत्म करने की है. भगोड़े अपराधियों का कुछ पता नहीं है. आजाद ने कहा कि सरकार जम्मू कश्मीर में शांति की बात करती है, जबकि इतना खून-खराबा वहां कभी नहीं हुआ. सिविलियन से लेकर जवान लगातार वहां मर रहे हैं, जितने कभी नहीं मरे. आजाद ने कहा कि लोकसभा चुनाव और पंचायत चुनाव के शांतिपूर्ण होने का क्रेडिट ले रहे हैं तो 2 साल से विधानसभा चुनाव नहीं करा पाए उसका क्रेडिट कौन लेगा?

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