
मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट, 1978 के तहत हिरासत में लिए गए 26 लोगों का डिटेनशन वारंट वापस लेने का फैसला लिया है. इसके साथ ही इन लोगों को रिहा कर दिया गया है. रूफ अहमद डार, मोहल्ला समबोरा, अब्दुल सलाम राथर और तनवीर अहमद भट जैसे लोगों को रिहा किया गया है.
बता दें कि कश्मीर में हिरासत में लिए गए नेताओं को सरकार धीरे-धीरे रिहा कर रही है. 5 अगस्त को धारा 370 को निरस्त करने के बाद कश्मीर में कई नेताओं को हिरासत में लिया गया था.
धारा 144 पर सुप्रीम कोर्ट
वहीं, सुप्रीम कोर्ट में आज जम्मू-कश्मीर में लगी पाबंदियों पर सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र सरकार के फैसलों पर सवाल खड़े किए. इसी के साथ धारा 144 के तहत जो भी रोक लगाई गई हैं, उन्हें सार्वजनिक करने को कहा गया है. कोर्ट ने कहा कि धारा 144 का इस्तेमाल किसी के विचारों को दबाने के लिए नहीं किया जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धारा 144 का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है, बेहद जरूरी हालात में ही इंटरनेट को बंद किया जा सकता है. SC ने कहा कि धारा 144 को लंबे वक्त तक के लिए नहीं लगा सकते हैं, इसके लिए जरूरी तर्क होना चाहिए.
क्या है धारा 144?
जब किसी भी जगह पर हालात बिगड़ने की स्थिति होती है, जिससे आम नागरिकों और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचे, तो उस दौरान धारा 144 लगा दी जाती है. इस धारा को लागू करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट यानी जिलाधिकारी एक नोटिफिकेशन जारी करता है. धारा 144 लगने के बाद वहां चार या उससे ज्यादा लोग जमा नहीं हो सकते. इस धारा को लागू किए जाने के बाद उस स्थान पर हथियारों के लाने ले जाने पर भी रोक लगा दी जाती है.