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चांद पर आशियाना बसाएगा इसरो, ढांचों के साथ हो रहा प्रयोग

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए चंद्रमा पर बसने के लिहाज से कई तरह के विकल्पों पर शोध हो रहा है. इसरो ने चंद्रमा पर अपना पहला मिशन चंद्रयान-1 साल 2008 में लांच किया था और चंद्रयान-2 को चांद पर भेजने की तैयारी चल रही है. इसे इसी साल अप्रैल या अक्टूबर में चंद्रमा पर भेजा जाएगा.

फाइल फोटो फाइल फोटो
राम कृष्ण/बालकृष्ण
  • नई दिल्ली,
  • 22 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 7:36 AM IST

मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग हमेशा कहा करते थे कि अगर मानव जाति को संपूर्ण विनाश से बचना है और अपना अस्तित्व बचाए रखना है, तो उसे अंतरिक्ष में धरती के बाहर कहीं रहने का ठिकाना खोजना होगा. अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने इस दिशा में कोशिश भी शुरू कर दी है.

इसरो इस बात की संभावना तलाश रहा है कि क्या चंद्रमा पर इंसान जाकर रह सकते है. बुधवार को इस बारे में केंद्र सरकार ने लोकसभा में जानकारी दी. तेलंगाना राष्ट्र समिति के सांसद सुमन बालका द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि इसरो दूसरे संस्थानों के साथ मिलकर चंद्रमा पर बसावट के बारे में ढांचों के साथ प्रयोग कर रहा है. अंतरिक्ष विभाग प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत ही आता है.

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इससे संबंधित एक और प्रश्न का जवाब देते हुए जितेंद्र सिंह ने कहा कि भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए चंद्रमा पर बसने के लिहाज से कई तरह के विकल्पों पर शोध हो रहा है. इसरो ने चंद्रमा पर अपना पहला मिशन चंद्रयान-1 साल 2008 में लांच किया था और चंद्रयान-2 को चांद पर भेजने की तैयारी चल रही है. इसे इसी साल अप्रैल या अक्टूबर में चंद्रमा पर भेजा जाएगा.

जब उनसे पूछा गया कि क्या इसरो ने आगामी मिशनों को ध्यान में रखते हुए चंद्रमा की सतह पर इग्लू जैसी बसावटों के निर्माण पर काम शुरू कर दिया है? क्या चंद्रमा का इस्तेमाल अंटार्कटिका के मिशन की तरह करने का विचार चल रहा है? इस पर जितेंद्र सिंह ने कहा कि बसावटों की जरूरतों और जटिलताओं के बारे में कई विकल्पों पर अध्ययन किया जा रहा है. मालूम हो कि इग्लू का इस्तेमाल सर्द जगहों पर लोगों को गर्म रखने के लिए किया जाता है.

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