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आर्मी चीफ के चयन को सरकार ने सही ठहराया, कहा- एंटी टेररिज्म अनुभव के आधार पर चुना

रक्षा मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ की नियुक्ति सेना कमांडर रैंक के अधिकारियों के एक पैनल में से की गई है. सेना कमांडरों के रैंक के अधिकारियों के पैनल में सभी अधिकारी सक्षम हैं और सर्वाधिक योग्य का चयन किया गया है.

बिपिन रावत बिपिन रावत
लव रघुवंशी
  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 12:38 PM IST

मोदी सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को अगला सेना प्रमुख घोषित कर दिया है. कांग्रेस और वाम दलों ने बिपिन रावत की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस ने कहा है कि नियुक्ति में वरिष्ठता का ख्याल क्यों नहीं रखा गया. रावत की नियुक्ति का बचाव करते हुए सरकार ने जवाब दिया है कि निर्णय पूरी तरह से योग्यता के आधार पर लिया गया है. सरकार की तरफ से साथ ही कहा गया है कि नियुक्ति सुरक्षा हालात और आवश्यकताओं के आधार पर की गई है.

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रक्षा मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ की नियुक्ति सेना कमांडर रैंक के अधिकारियों के एक पैनल में से की गई है. सेना कमांडरों की रैंक के अधिकारियों के पैनल में सभी अधिकारी सक्षम हैं और सर्वाधिक योग्य का चयन किया गया है. मंत्रालय के अनुसार, वर्तमान सुरक्षा स्थिति में, आतंकवाद का मुकाबला करने और आतंकवादरोधी अभियान प्रमुख मुद्दे हैं. इसके आधार पर सही चयन किया गया है.

कांग्रेस ने उठाए सवाल
कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने ट्विटर पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आर्मी चीफ की नियुक्ति में वरिष्ठता का ख्याल क्यों नहीं रखा गया? क्यों लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी और लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद अली हरीज की जगह बिपिन रावत को प्राथमिकता दी गई. पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह के बाद सबसे वरिष्ठ है. दक्षिणी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरीज अगले सबसे वरिष्ठ हैं.

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पीएम की पहली पसंद
लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पसंद हैं. दरसअल, पिछले साल म्यांमार में नगा आतंकियों के खिलाफ की गई सफल सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से ही वे पीएम की निगाहों में आ गए थे. पाक अधिकृत कश्मीर में की गई सर्जिकल स्टाइक में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है.

म्यांमार में घुसकर किया था ऑपरेशन
पूर्वोत्तर मामलों के भी विशेषज्ञ-चीन, पाकिस्तान सीमा के अलावा रावत को पूर्वोत्तर में घुसपैठ रोधी अभियानों में दस साल तक कार्य करने का अनुभव है. पिछले साल जून में जब मणिपुर में नगा आतंकियों ने 18 सैनिकों को मार गिराया था तो तीन दिन के भीतर ही रावत के नेतृत्व में म्यांमार में घुसकर नगा आतंकी शिविरों को नष्ट किया गया जिसमें 38 नगा आतंकी मारे गए थे. यह एक बेहद सर्जिकल स्ट्राइक थी. सुझाव रावत का था और मंजूरी पीएम ने दी थी. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की देखरेख में यह पहली सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी.

पाकिस्तान के साथ चीन बॉर्डर की भी समझ
रावत 1978 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे. अपने लंबे करियर में उन्होंने पाकिस्तान सीमा के साथ-साथ चीन सीमा पर भी लंबे समय तक कार्य किया है. वे नियंत्रण रेखा की चुनौतियों की गहरी समझ रखते हैं. साथ ही चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा के हर खतरे से भी वे वाकिफ हैं. इसलिए माना जा रहा है कि वे दोनों सीमाओं की चुनौतियों से निपटने में सफल रहेंगे.

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