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सरकार ने लोकसभा में बताया- कैसे होगी जीरो बजट की खेती?

मोदी सरकार ने लोकसभा में बताया है कि शून्य बजट प्राकृतिक खेती सहित जैविक खेती के तरीके से कम लागत में खेती किसानी को बढ़ावा मिलता है.

किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 4:34 PM IST

शून्य बजट आधारित खेती का सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में खाका पेश किया है. सरकार ने बताया कि हरियाणा, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में इस दिशा में काम चल रहा है. सरकार ने एक बार फिर 2022 में किसानों की आय दोगुनी होने को लेकर अपने प्लान की जानकारी दी.

दरअसल, मंगलवार को लोकसभा में तमिलनाडु के सांसद डॉ. तामिझाची ने सरकार से पूछा था कि क्या सरकार वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए शून्य बजट प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की योजना बना रही है. आखिर सरकार किस प्रकार किसानों की आय दोगुनी करेगी. परंपरागत कृषि विकास और राष्ट्रीय कृषि विकास का ब्यौरा क्या है.

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इस पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जवाब दिया. उन्होंने बताया कि शून्य बजट प्राकृतिक खेती(जेडबीएनएफ)  सहित जैविक खेती के तरीके से कम लागत में खेती-किसानी को बढ़ावा मिलता है. इससे किसानों को बचत होती है. देश में जैविक खेती की संभावनाओं को पहचानकर  सरकार परंपरागत कृषि विकास योजना(पीकेवीआई) की समर्पित योजना के जरिए किसानों के कल्याण के लिए जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है.

परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत, राज्यों को किसानों की पसंद के आधार पर शून्य बजट आधारित प्राकृतिक खेती सहित किसी भी कृषि विकास परियोजनाओं के लिए राज्य निधियां प्राप्त कर सकते हैं. सरकार ने बताया कि आंध्र प्रदेश में शून्य बजट प्राकृतिक खेती पर काम चल रहा है.

कृषि मंत्री ने बताया कि हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के गुरुकुल में 80 एकड़ जमीन पर शून्य बजट में खेती हो रही है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती, खुशहाल किसान योजना के तहत इस दिशा में काम कर रहा है. वहीं आंध्र प्रदेश के 13 जिलों में पांच लाख एकड़ जमीन को कवर किया गया है.  सरकार ने बताया कि प्रति बूंद अधिक फसल पाने के लिए स्प्रिंकलर सिंचाई सुविधा को बढ़ावा दिया जा रहा है.

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हर मेढ़ पर पेड़ लगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा. प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान को मंजूरी मिली है. किसानों को मधुमक्खी पालन और गोवंशीय दूध उत्पादन के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है.

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