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भारत की सीमा से सटे पाकिस्तान के गांव में क्यों पसरा है सन्नाटा?

वहीं भारत की सीमा से सटे पाकिस्तान के कादिया चक गांव में बिल्कुल सन्नाटा पसरा हुआ है. हालांकि 2 दिन पहले तक इस गांव से बच्चों के खेलने-कूदने और नमाज पढ़ने की आवाज सुनाई दे रही थी, लेकिन अब सन्नाटा पसरा हुआ है. वहीं हिंदुस्तान से सटे गांव में चहल-पहल है और स्कूल चल रहा है.

बॉर्डर से सटे गांव के लोग (फोटो-शरत Aajtak.in) बॉर्डर से सटे गांव के लोग (फोटो-शरत Aajtak.in)
सतेंदर चौहान/शरत कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 28 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 6:13 PM IST

एयर स्ट्राइक में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद करने के बाद बौखलाए पाकिस्तान की हरकतों से बॉर्डर पर भले ही तनाव का माहौल हो लेकिन असल में राजस्थान से लगती भारत-पाकिस्तान सीमा पर लोगों में खौफ नहीं बल्कि गुस्सा है.

1965 और 71 की लड़ाई देख चुके लोगों का कहना है कि अब और बर्दाश्त नहीं होता. उनका कहना है कि इस बार आर-पार हो जाना चाहिए. आज तक की टीम ने भारत-पाकिस्तान सीमा पर गांवों का दौरा किया. सीमा से सटे गमनेवाला गांव में लोगों से मन में खौफ का नाम नहीं है. यह वह लोग हैं, जिनके घरों को 1971 में खाली करा लिया गया था और वहां से 45 किलोमीटर दूर पीछे रामगढ़ के सरकारी स्कूल में इन्हें रखा गया था. जिस तरह से सेना का मूवमेंट है उसे देखते हुए वहां रह रहे लोगों को किसी भी वक्त यह कहा जा सकता है कि गांव खाली करें. लोगों का कहना है कि इस बार वह अपना घर छोड़कर नहीं जाएंगे और सेना के साथ मिलकर दुश्मनों से मुकाबला करेंगे.

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उनका कहना है कि पाकिस्तान को सबक सिखाने का वक्त आ गया है. 1971 की लड़ाई में भारतीय सेना के साथ युद्ध के मैदान में साथ देने वाले हमीर सिंह का कहना है कि इस बार भी वह भारतीय सेना का साथ देंगे.

वहीं भारत की सीमा से सटे पाकिस्तान के कादिया चक गांव में बिल्कुल सन्नाटा पसरा हुआ है. हालांकि 2 दिन पहले तक इस गांव से बच्चों के खेलने-कूदने और नमाज पढ़ने की आवाज सुनाई दे रही थी, लेकिन अब सन्नाटा पसरा हुआ है. वहीं हिंदुस्तान से सटे गांव में चहल-पहल है और स्कूल चल रहा है.

पंजाब के पठानकोट के बमियाल सेक्टर में भारतीय सीमा के आखिरी गांव पर जब आज तक की टीम पहुंची तो देखा कि इस गांव में स्कूल सुचारू रूप से चल रहे हैं, जबकि इस गांव से सिर्फ 100 से 200 कदम की दूरी पर ही इंटरनेशनल बॉर्डर की तारबंदी की गई है.

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लोगों का कहा है, भले ही पाकिस्तान ने अपने गांव खाली करा लिए हों लेकिन हम लोग गांव छोड़कर नहीं जाएंगे. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना और बीएसएफ के साथ गांव में ही डटे रहेंगे. गांव के बुजुर्गों ने बताया कि 1971 और 65 की लड़ाई में भी इस गांव के लोग पीछे नहीं हटे थे और भारतीय सेना के साथ मजबूती के साथ खड़े थे.

भारत-पाकिस्तान में लड़ाई भले ही कश्मीर में छिड़ी थी लेकिन पाकिस्तान ने युद्ध का फ्रंट राजस्थान के जैसलमेर सीमा पर खोला था. 1965 और 1971 की लड़ाई में राजस्थान में जैसलमेर की लगती भारतीय सीमा भीषण लड़ाई का मैदान बना हुआ था. भारतीय सेना ने पाकिस्तान के नापाक इरादों से निपटने के लिए पूरे रेगिस्तान को अपना मोर्चा बना रखा है .थार के सहरा में जहां तक नजर जाए वहां तक भारतीय सेना के बंकर ही बंकर हैं, जहां पाकिस्तान के किसी भी दुस्साहस को माकूल जवाब देने के लिए पूरी तैयारी है.

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