
2019 चुनाव में मोदी सरकार के लिए मॉब लिंचिंग का मुद्दा कहीं सिरदर्द न बन जाए, इससे सरकार चिंतित है. इन घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. इसे लेकर नया कानून बनाने की संभावना पर केंद्र सरकार की तरफ से विचार किया जा रहा है.
देशभर में मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं को रोकने और उसपर कानून बनाने को लेकर गृह मंत्रालय में बुधवार को ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) की एक बैठक हुई. बतौर जीओएम प्रमुख गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस बैठक अध्यक्षता की. बैठक में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज समेत दूसरे मंत्री और केंद्रीय गृह सचिव शामिल थे.
समिति की प्रमुख सिफारिशों में से एक, भारत में सोशल मीडिया साइटों के शीर्ष अधिकारियों पर जिम्मेदारी डालना है. समझा जाता है कि समिति ने संसदीय अनुमोदन के जरिए भारतीय दंड संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता में नए प्रावधान शामिल कर कानून को सख्त बनाने की सिफारिश की है.
अधिकारी ने बताया कि उम्मीद है कि अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने के लिए जीओएम अगले कुछ हफ्तों में और बैठकें कर सकता है. बाद में उसे अंतिम फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास भेजा जाएगा.
बता दें कि पिछले एक साल के दौरान नौ राज्यों में ऐसी करीब 40 घटनाएं होने के बाद जीओएम तथा सचिवों की समिति का गठन किया गया था.
आपको बता दें कि जीओएम की इस बैठक से पहले केंद्र सरकार के सीनियर ब्यूरोक्रेट्स के एक पैनल ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह को अपनी रिपोर्ट दी थी.
सूत्रों के मुताबिक़ इस पैनल ने सरकार को बताया है कि मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं के लिए वॉट्सएप समेत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जिम्मेदार हैं. जिसमें बच्चों, महिलाओं और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते हुए किए गए दुर्भावनापूर्ण कंटेंट और उससे जुड़ी हुई अफवाहें फैलाई जाती है.
जानकारी के मुताबिक केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा की अध्यक्षता वाली सचिवों की समिति ने मंत्री समूह को अपनी रिपोर्ट सौंपी. उसमें पहले समाज के विभिन्न वर्गों और अन्य लोगों से संबंधित पक्षों से सलाह मशविरा किया जाने की बात अहम रही. पैनल ने संसदीय मंजूरी के लिए आईपीसी और सीआरपीसी में प्रावधान जोड़कर कानून को सख्त बनाने के सुझाव दिए हैं.
अपनी रिपोर्ट में ब्यूरोक्रेट्स के पैनल ने यह भी कहा कि इंटरनेट और सोशल मीडिया में ऐसे कंटेंट पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को साइबर स्पेस में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की जरूरत है.
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गृह मंत्रालय ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर लगाम लगाने को लेकर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक एडवाइजरी जारी की थी. जिसमें कहा गया था कि हर जिले में पुलिस अधीक्षक स्तर के एक अधिकारी की नियुक्ति की जाए.
साथ ही खुफिया सूचना जुटाने के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स बनाया जाए. इसके अलावा सोशल मीडिया में चल रही चीजों पर पैनी नजर रखें, ताकि बच्चा चोरी या मवेशी तस्करी के शक में भीड़ की ओर से किए जाने वाले हमले रोके जा सकें.