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क्या भारत में फिर से मचने वाला है 'नोटबंदी' जैसा 'हंगामा'? क्या होगा जीएसटी का असर

लोगों में सबसे बड़ी उत्सुकता रोजमर्रा की चीजों को लेकर है. तमाम चीजें हैं जो सस्ती हो रही हैं. सरकार ने दूध, दही, पनीर, लस्सी, अंडा, नमक, खुला अनाज, ताजी सब्जियां जैसी दैनिक उपयोगी चीजें टैक्स के दायरे से बाहर रखने की घोषणा की है. ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि अब इन चीजों के दाम पहले से घट जाएंगे लेकिन क्या ऐसा होगा?

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
कौशलेन्द्र बिक्रम सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 30 जून 2017,
  • अपडेटेड 8:48 PM IST

आपको मोदी सरकार द्वारा लागू की गई नोट बंदी तो याद ही होगी. कैसे भूल सकते हैं उस एक फैसले ने कईयों की नींद जो उड़ा दी थी. 8 नवंबर 2016, इस बात के लिए इतिहास में दर्ज हो चुका है. जीएसटी पर टिप्पणी करने वाले कुछ लोगों को लगता है जीएसटी के बाद एक बार फिर देश में गहमागहमी का माहौल पैदा हो सकता है. उनके मुताबिक 30 जून की आधी रात सरकार तो संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष से जीएसटी लागू होने की घोषणा कर देगी लेकिन क्या यह 1 जुलाई 2017 की सुबह खुलने वाली खुदरा दुकानों तक पहुंच पाएगा. सवाल बड़ा है कि देश में अगली सुबह का माहौल कैसा होगा? जानकारों का मानना है कि कुछ हो या ना हो हंगामा जरूर होगा. जीएसटी लॉन्च से पहले बंद दुकानें और व्यापारियों का अड़यिल रुख इसमें उत्प्रेरक का काम कर सकता है.

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क्या सस्ती मिलने लगेंगी चीजें

लोगों में सबसे बड़ी उत्सुकता रोजमर्रा की चीजों को लेकर है. तमाम चीजें हैं जो सस्ती हो रही हैं. सरकार ने दूध, दही, पनीर, लस्सी, अंडा, नमक, खुला अनाज, ताजी सब्जियां जैसी दैनिक उपयोगी चीजें टैक्स के दायरे से बाहर रखने की घोषणा की है. ऐसे में लोगों को उम्मीद है कि अब इन चीजों के दाम पहले से घट जाएंगे लेकिन क्या ऐसा होगा? आपको बता दें कि बाजार में बिक रही चीजों की दामों पर महज टैक्स का ही असर नहीं होता. ट्रांसपोर्ट जैसे जरूरी शुल्क भी उसमें निहित होते हैं और ट्रांसपोर्ट शुल्क तय होता है पेट्रोल और डीजल के दाम पर और यह जीएसटी से बाहर है. ऊपर से सरकार ने अभी व्यापारियों को दो महीने का वक्त दिया गया है. मतलब साफ है कि फिलहाल कोई बदलाव नहीं होने वाला. अगर होगा भी तो वो भी बहुत न्यूनतम स्तर पर. दामों के तौर पर कोई बहुत बड़ी क्रांति नहीं होने वाली इसलिए धैर्य रखें.

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बैंक सेवाएं

बैंक और फाइनेंस सेवाओं के महंगे होने की खबर है क्योंकि अभी इनकी दर 15 फीसदी है जबकि जीएसटी में इशे बढ़ाकर 18 प्रतिशत किया जा रहा है. अब आम आदमी का सवाल है कि क्या अब कर्ज लेना महंगा हो जाएगा? इसमें राहत की बात है कि जीएसटी शुक्रवार की आधी रात लॉन्च हो रहा है. शनिवार को जीएसटी का पहला दिन होगा. ऐसे में तमाम जागरूक ग्राहक बैंकों का रुख कर सकते हैं. उनको क्या जवाब मिलेगा? इस सवाल का जवाब दो बैंक कर्मियों को भी फिलहाल नहीं पता है. वे भी इंतजार कर रहे हैं.

घर

सरकार प्रचार कर रही है कि जीएसटी के बाद घर लेना सस्ता हो जाएगा. क्या ऐसा होगा? यदि होगा तो किस तरह. अगर आप पिछले कुछ दिनों से मकान तलाश रहे थे तो आपको जीएसटी घाटे का सौदा लगेगा क्योंकि अभी तक टैक्स सिर्फ 4.5 फीसदी था अब जीएसटी 12 फीसदी होगा. साफ है कि यह झटका व्यापारी तो झेलेगा नहीं. पैसा आपको ही देना होगा. व्यापारियों के मुताबिक सरकार कह रही है कि उसने सीमेंट, स्टील और अन्य उत्पादों पर टैक्स कम किया है लेकिन जो प्रोजेक्ट बन चुके हैं उन्हें व्यापारी घाटे में बेचने के बिल्कुल भी हक में नहीं हैं. तो अगर आप तुरंत घर लेने की तैयारी में हैं तो जीएसटी का फायदा शायद ही आपको हाथ लगे हां अगर साल-दो साल बाद लें तो जरूर मिल सकता है.

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क्या है जीएसटी

आपको बता दें कि जीएसटी आसान शब्दों में एक मात्र टैक्स सुधार है. सरकारें अपनी आमदनी के लिए टैक्स लेती थीं और आगे भी लेती रहेंगी. जीएसटी टैक्स लेने का स्वरुप बदल रहा है. इस बदलाव से सबसे ज्यादा प्रभावित देश के व्यापारी होंगे. उऩ्हें पूरी नई प्रक्रिया अपनानी होगी. प्रोडक्ट के दाम पर टैक्स के अलावा भी तमाम चीजें असर करती हैं जिनमें रॉ मैटेरियल, ट्रांसपोर्टेशन चार्ज बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं.

 

 

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