
दिल्ली यूनिवर्सिटी में जारी विवाद से सुर्खियों में आई गुरमेहर कौर के पिता कैप्टन मनदीप करगिल के शहीद नहीं थे. वे आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे लेकिन करगिल की जंग में नहीं. हालांकि, गुरमेहर ने पिछले साल पोस्ट किए गए प्ले कार्ड्स वीडियो में दावा किया था कि उनके पिता की जान करगिल जंग के दौरान गई थी, जबकि आर्मी रिकॉर्ड कुछ और बताते हैं.
कैसे गई थी कैप्टन मनदीप की जान?
आर्मी से मिले दस्तावेजों के मुताबिक,
कैप्टन मनदीप सिंह 1999 में राष्ट्रीय राइफल्स के सेक्टर 7 के तहत पोस्टेड थे. वे रक्षक नाम के आतंकरोधी टीम का हिस्सा थे. जम्मू-कश्मीर में 1999 में राष्ट्रीय राइफल्स के कैंप पर आतंकी हमले के दौरान मनदीप सिंह शहीद हुए थे. 6 अगस्त 1999 को उनके कैंप पर हमला हुआ था और वे शहीद हुए थे. इस हमले में 6 और जवानों की जान गई थी. मनदीप 1991 में 49 आर्मी एयर डिफेंस रेजिमेंट में शामिल हुए थे और जब शहीद हुए थे तो वे 4 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन का हिस्सा थे.
कैसे हुआ था कैप्टन के कैम्प पर हमला?
6 अगस्त 1999 को कुपवाड़ा जिले के चक नुतनुसा नाम के गांव के पास आतंकियों ने हमला किया था. यहीं उनका कैंप था. रात 1.15 मिनट पर आतंकियों ने कैंप पर हमला किया था. उस दौरान मनदीप अपनी कंपनी के कमांडर थे. इस दौरान उन्हें बाएं कंधे में गोली लगी थी. मौके पर ही उनकी जान चली गई थी.
गुरमेहर ने क्या किया था दावा?
पिछले साल मई महीने में गुरमेहर की ओर से पाकिस्तान के साथ शांति को लेकर सोशल मीडिया पर एक कैम्पेन चलाया गया था. इसमें उन्होंने प्ले कार्ड्स दिखाते हुए कहा था कि उनके पिता को पाकिस्तान ने नहीं वार ने मारा. इस दौरान उन्होंने एक प्ले कार्ड दिखाया था जिसमें कहा था कि उनके पिता करगिल में जंग के दौरान शहीद हुए थे.
बता दें कि करगिल युद्ध 3 मई 1999 को शुरू हुई थी और जंग 25 जुलाई 1999 तक चली थी. आतंकी हमला 6 अगस्त 1999 को हुआ था.