Advertisement

हज यात्रा के लिए कैसे तय होता है हर देश का कोटा, जानिए ऐसी कई खास बातें

हज यात्रा पर भारत सरकार ने सब्सिडी पूरी तरह से खत्म कर दी है, लेकिन यह यात्रा दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक यात्राओं में शुमार की जाती है. इससे जुड़े आंकड़ों पर एक नजर...

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
सुरेंद्र कुमार वर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 16 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 5:26 PM IST

मोदी सरकार ने मुस्लिम समाज के लोगों की हज यात्रा के दौरान दी जाने वाली सरकारी सब्सिडी को पूरी तरह से खत्म कर दिया है. हज यात्रा पर जाने वालों को सब्सिडी देने के लिए पिछले साल केंद्र सरकार ने 405 करोड़ रुपए खर्च किए थे.

हालांकि 2014 में सत्ता में आने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार हज यात्रा पर दी जाने वाली सब्सिडी पर लगातार कमी करती आ रही थी. 2014 में 577.07 करोड़ रुपए हज यात्रा पर दिए थे, जबकि 2015 में यह सब्सिडी घटकर 529.51 करोड़ रुपए हो गई.

Advertisement

2017 में 23 लाख लोगों ने की यात्रा

जहां तक वैश्विक स्तर पर हज यात्रा करने का सवाल है तो साल 2017 में 168 देशों से 23 लाख 52 हजार 122 लोगों ने पवित्र हज यात्रा के लिए मक्का का सफर तय किया. पिछले 27 सालों के आंकड़ों पर नजर डाले तो 2012 में सबसे ज्यादा लोग हज यात्रा पर गए थे. उस साल यह आंकड़ा रिकॉर्ड 31 लाख को भी पार कर गया था. उस साल 31 लाख 61 हजार 573 लोगों ने हज यात्रा की थी. हालांकि 2016 तक इसमें काफी कमी आ गई और उस साल 18 लाख 62 हजार 909 लोग हज यात्रा पर गए. 2015 में 19 लाख से ज्यादा लोगों ने हज यात्रा की.

ऐसा नहीं है कि पवित्र हज यात्रा पर कोई भी देश अपनी मर्जी के मुताबिक श्रद्धालुओं को वहां भेज दे. इसके लिए हर देश का बकायदा कोटा तय किया जाता है. कोटा हर देश की आबादी के आधार पर तय की जाती है. किसी भी देश में 1,000 मुसलमानों की आबादी पर 1 श्रद्धालु का कोटा तय होता है. इस आधार पर 2017 में पाकिस्तान से 179,210, भारत से 170,000, बांग्लादेश से 127,198, मिस्र से 108,000 और इंडोनेशिया से सबसे ज्यादा 221,000 लोगों को हज पर जाने का कोटा मिला था.

Advertisement

हर साल बढ़ रहा है भारत का कोटा

भारत में मुसलमानों की तेजी से बढ़ती आबादी के कारण हज यात्रा के लिए निर्धारित कोटे में हर साल इजाफा भी हो रहा है. 2014 में 0.99 लाख, 2015 में 1.5 लाख, 2016 में 1.4 लाख और 2017 में 1.7 लाख भारतीय लोगों को कोटा दिया गया.

2017 में हज यात्रा पर भारत की ओर से 1,25,025 लोग हज कमेटी ऑफ इंडिया के जरिए अपनी यह धार्मिक यात्रा पूरी की, जबकि शेष 45,000 लोग निजी टूर ऑपरेटरों की मदद से मक्का-मदीना की यात्रा की.

हज यात्रा बेहद खर्चिली यात्रा है. एक यात्री पर औसतन 1,870 से 5,000 डॉलर का खर्च आता है, जिसमें से 75-80 फीसदी खर्च रहने, खाने, गिफ्ट और संचार साधनों के इस्तेमाल पर हो जाते हैं.

सऊदी अरब को हो रहा मुनाफा

माना जा रहा है कि 2025 तक हज यात्रियों की संख्या बढ़कर 2.5 से 3 करोड़ लोग हो जाएगी. इसका फायदा सऊदी अरब को होगा क्योंकि 2025 तक उसकी जीडीपी में 5.7 से 6.2 फीसदी का योगदान इस यात्रा से होगा. 2015 में सऊदी अरब की धार्मिक यात्रा के दौरान 12 अरब डॉलर की कमाई हुई थी, जिसमें अकेले करीब 7 अरब डॉलर हज यात्रा से हुई. यह इस जीडीपी में 3.5% हिस्सा है. इस यात्रा को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए 2017 में करीब 883,000 लोगों को लगाया गया था.

Advertisement

सन 2015 में मक्का में भीषड़ भगदड़ मची जिसमें 2,400 से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जिसमें ईरान से अकेले 464 लोग और माली से 312 लोग मारे गए. भारत से 114 श्रद्धालुओं की मौत हुई. तमाम व्यवस्थाओं के बावजूद इस तरह की घटनाएं बीच-बीच में होती रही हैं.

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि हज पर सब्सिडी इस साल से खत्म हो जाएगी. हज यात्रा के लिए मिलने वाली सब्सिडी का लाभ गरीब और जरूरतमंद मुसलमानों को नहीं मिलता था. आजादी के बाद यह पहली बार है, जब भारतीय मुसलमान बिना सब्सिडी के हज यात्रा पर जाएंगे. साथ ही यह भी कहा कि इस साल भारत के इतिहास में सबसे ज्यादा 1.75 लाख मुस्लिम हज की यात्रा पर जाएंगे. हज पर दी जाने वाली सब्सिडी अब मुसलमानों को दी जाने वाली शिक्षा पर खर्च किया जाएगा.

हज यात्रा पर जाने के लिए भारत से 1.75 लाख लोगों को ही अनुमति दी गई है. करीब 4 लाख लोगों ने हज यात्रा के लिए आवेदन किया था, जिसमें 1,300 महिलाएं ऐसी हैं जो 'मेहराम' यानी पुरुष साथी के बगैर हज पर जाएंगी. हालांकि उनके साथ महिला हज अधिकारी भी साथ होंगी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement